यह ऑडियो कैसेटों का दौर था । पापा को सुनने का
शौक था । घर में पंजाबी गज़लों और नज़्मों के ढेरो कैसेट्स थे । तब इतनी समझ नहीं थी, लेकिन जो बजता था कानों से
गुजरकर दिलो दिमाग तक चला ही जाता था । कभी-कभी कुछ पल्ले भी पड़ जाता था । तब
संगीत की धुनों और गीतों के बोल के साथ उनके मर्म का भी समझ आ जाना सबसे अच्छा
एहसास हुआ करता था । उसी दौरान शिव कुमार बटालवी के गीतों और गजलों को भी सुना था
। तब यह पता नहीं था कि बटालवी हैं कौन !
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कुछ साल पहले फिर से बटालवी को सुना तो बचपन में
सुने हुए बोल और धुन जैसे ताजा हो गये ।इस बार मैंने बटालवी के बारे में जानने की
कोशिश की । इसी दौरान पता चला कि बटालवी पंजाबियों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे हैं ।
बटालवी सबसे कम उम्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले रचनाकार थे । बटालवी
को उम्र कम मिली लेकिन पंजाब के हर खास-ओ-आम के बीच उनकी रचनाओं की जो पैठ है, जो कद्र है, उसने उन्हें हमेशा के लिए अमर कर दिया । उनकी संवेदना का स्तर इतना गहरा है कि उन्हें ‘बिरहा का सुल्तान’ भी कहा जाता है।
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इन दिनों फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ में उनके लिखे एक
मशहूर गीत ‘इक कुड़ी जिदा नाम मुहब्बत’ को
शामिल किये जाने के बाद बटालवी की फिर से बहुत चर्चा हुई है । उनके इंटरव्यू के
यूट्यूब पर उपलब्ध एक मात्र वीडियो को लोगों ने ढूँढ़ ढूँढ़ कर सुना । उनकी बातचीत
का लहज़ा, उनके हाव-भाव, उनकी आवाज़,
उनका डूबकर गीत गाना, सब कमाल का है । सौरभ,
इन दिनों हुई चर्चा से पहले बटालवी को नहीं जानते थे । इंटरव्यू का
विडियो हम दोनों ने कई बार देखा है । इस इंटरव्यू में बटालवी ने अपना लिखा ‘की पुछ दे ओ हाल फकीरा दा’ गाकर सुनाया है, यह हम दोनों को ही बेहद पसंद है ।
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जब बटालवी पर फिर से चर्चा होने लगी तब
मैंने सोशल मीडिया से जाना कि कई गैर पंजाबी भी न सिर्फ बटालवी को बचपन से जानते
थे, बल्कि
उनके मुरीद भी रहे थे । पता नहीं उनमें से कितने सच बोल रहे हैं, और कितने सोशल मीडिया के बहते ट्रेंड में हाथ धो रहे हैं । जो भी हो इस
फिल्म को शिव कुमार बटालवी को उनसे अपरिचित नयी पीढ़ी से परिचित कराने का श्रेय तो
दिया ही जाना चाहिए ।
शिव कुमार बटालवी का इंटरव्यू
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