Sunday 23 October 2016

फूहड़ हास्य के दौर में पम्मी आंटी

निजी टीवी चैनलों की शुरुआत और फिर आई उसकी बाढ़ ने मनोरंजन और सूचनाओं की जो दुनिया खोली थी, उसकी सीमायें भी धीरे-धीरे स्पष्ट होने लगी थीं । इनका अपना व्यावसायिक हित था और इनका टारगेट थी - देश की बड़ी जनसँख्या । इसलिए इन चैनलों ने फायदा देने वाले कुछ फ़ॉर्मूलों के इर्द-गिर्द घूमते हुए एक माध्यम के बतौर टीवी चैनलों की संभावनाओं को सीमित कर दिया । सास-बहु के किस्से, गायन-नाच की नकलची प्रतियोगिताएँ, नागिन का बदला, खाये-अघाये हुए खानदानों की पारिवारिक समस्याएँ और पुनर्जन्म के किस्सों वाले सालों-साल तक सस्पेंस रखनेवाले एपिसोड्स, सनसनीखेज और जनविरोधी पत्रकारिता वाले न्यूज आवर्स और हँसी के फूहड़ कार्यक्रमों तक जैसे सब सिमट कर रह गया हो ।
आज इन्टरनेट की पहुँच का दायरा लगातार बढ़ रहा है । वेब मीडिया हमारे समय की बड़ी प्रभावी ताक़त बन कर उभर रहा है । इसका उपयोग कर एक व्यक्ति एक चैनल में बदल रहा है । लेकिन यह स्पेस भी बहुत साफ़-सुथरा बहुत सकारात्मक है, ऐसा नहीं है । दरअसल यह अभी अराजकता की हद तक आज़ादी मुहैया कराने वाला मंच है । यहाँ भी बहुत बड़ी मात्रा में फूहड़ता है, दुष्प्रचार है, यौनकुंठाओं को सहलाने वाली सामग्री है, अन्धविश्वास का विस्तार है, गलत सूचनाएँ हैं । लेकिन ठीक इसके उलट कुछ अच्छी चीज़ें भी आ रही हैं । दरअसल वेब माध्यमों पर क्रिएटिविटी का एक समुद्र है, जहाँ से बेहतर तलाशना आपके जिम्मे है । यहाँ चुनने और छोड़ देने की आज़ादी है । यूट्यूब सरीखे चैनलों पर रिलीज़ हो रही कुछ वेब सीरीज में क्रिएटिविटी, परिपक्वता और समझदारी दिखाई देती है । यानी बहुत सारी अच्छी बातों के लिए जगह है, एप्रीसिएशन है और कमाई भी है ।
यदि आपके हिस्से यूट्यूब के कई फूहड़ परफॉर्मर्स की क्रियेटिविटी ही आयी हो और आप कुछ अच्छा खोज रहे हों, तो सुमेर पसरीचा के क्रिएटिव आईडिया ‘पम्मी आंटी’ के कुछ एपिसोड्स देखिए । ‘पम्मी आंटी’ की लोकप्रियता में लगातार बढ़ोतरी और कुछ गंभीर सोशल मीडिया आलोचकों द्वारा इसकी लगातार प्रशंसा करने की वजह इसका स्वस्थ मनोरंजन है । इनमें हास्य है, सहज मानवीय स्वभाव है लेकिन संवेदनहीनता नहीं हैं । क्रूर और फूहड़ हास्य ने इसे अब तक नहीं छुआ है ।
पम्मी आंटी पैंतालीस से पचास के बीच की मध्यमवर्गीय पंजाबी महिला का किरदार है । एक पुरुष होते हुए भी सुमेर अपने समाज की स्त्रियों के भावों, आदतों, सोच, संवेदनाओं और भाषा व्यवहार पर कितनी गहरी पकड़ रखते हैं, ये पम्मी आंटी के उनके किरदार और आइडिया में झलकता है । यदि कपिल शर्मा सरीखे कुछ कॉमेडी परफॉर्मर्स के शो में औरतें बने मर्द अपनी फूहड़ता और असंवेदनशीलता से यह धारणा बनाने को मजबूर करते हों कि पुरुषों के द्वारा औरतों का किरदार निभाना ही फूहड़ता का कारण है, तब भी आपकी धारणा बदलने में ‘पम्मी आंटी’ आपकी मदद करेंगी । पम्मी आंटी छोटी-छोटी चीज़ों पर खुश होती हैं, दुखी हो जाती हैं, नाराज होती हैं, नाराजगी भूल भी जाती हैं, कभी थकी होती हैं तो कभी बहुत उत्साहित होती हैं और जमकर अपनी बहु की निंदा करती हैं, लेकिन इनकी निंदा भी अमानवीय नहीं होती है । वे कभी नये जमाने के नये चलनों की आलोचना भी करती हैं और कभी नयेपन को अपनाने की भी बात करती हैं । कुल मिलाकर पम्मी आंटी मुंहफट हैं, लेकिन दिल की बुरी नहीं हैं ।
अब तक के जितने एपिसोड्स मैंने देखे हैं, इसलिए भी प्रभावित हूँ कि सुमेर ने कॉमेडी के नाम पर स्तरहीनता नहीं दिखाई है । इनके संवाद, इनकी हरकते कहीं से भी द्विअर्थी नहीं होती हैं । ज़ाहिर है इसके पीछे उनकी अपनी सुलझी हुई वैचारिकी होगी ।
पम्मी आंटी शुद्ध देसी पंजाबी बोलती हैं । इसके बावजूद इसके दर्शक देश भर में बिखरे हुए हैं । यह पंजाबी भाषा की सहजता और ख़ासियत है कि इसे समझने और पसंद करने वाले गैर पंजाबियों की एक बड़ी तादाद है, जिसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है । ‘पम्मी आंटी’ जैसे प्रयोग इसलिए भी सराहे जाने चाहिए क्योंकि यह देशा की मातृभाषाओं की असीमित संभावनाओं को भी प्रकट करती हैं । यहाँ यह जानना भी जरूरी है कि सुमेर ने अपनी उच्चशिक्षा ऑस्ट्रेलिया में पायी है, और वहाँ के एक स्थानीय रेडियो मे रेडियो जॉकी भी रह चुके हैं । इसके बावजूद उनका पंजाबी को अपने परफॉर्म की भाषा बनाना अनुकरणीय है । शास्त्रीय नृत्य और संगीत में भी दखल रखने वाले अभिनेता सुमेर का पम्मी आंटी वाला आइडिया कैसा है, यह आप इसके एपिसोड्स देखकर खुद तय करिए, होर की !!



# Pammy Aunty, Ssumier Pasricha, Youtube Video Series, Healthy Comedy

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