Monday 26 December 2016

हैदराबाद राष्ट्रीय पुस्तक मेले से लौटकर

मैं पिछले लगभग तीन वर्षों से हैदराबाद में हूँ, इसके बावजूद यहाँ प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले राष्ट्रीय पुस्तक मेले की मुझे जानकारी नहीं थी, यह मेरे लिए अपराधबोध का विषय है । इस वर्ष 15 दिसम्बर से 26 दिसम्बर 2016 तक निर्धारित तीसवें राष्ट्रीय पुस्तक मेले की मुझे परसों ही जानकारी मिली और कल ही इस पुस्तक मेले से शरीक हो कर लौटी हूँ । कल छुट्टी का दिन था और मेले में पुस्तक प्रेमियों की भारी संख्या देखकर, यह अनुमान लगाना कठिन नहीं था कि हैदराबाद में पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले लोग पर्याप्त संख्या में मौजूद हैं । इस पुस्तक मेले में तेलुगू की मूल और अनूदित किताबों की भरमार देखकर स्थानीय मातृभाषा के जीवंत और प्रभावी बने रहने की आश्वस्ति हुई । यहाँ तेलुगू और अंग्रेजी के अतिरिक्त हिन्दी के भी कुछ प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के स्टॉल थे । इसके अलावा उर्दू, संस्कृत और कुछ अन्य भाषाओं की किताबें भी यहाँ उपलब्ध थी । यहाँ स्टेशनरी, कम्प्यूटर साफ्टवेयर और सीडी-डीवीडी विक्रेताओं के भी कुछ स्टॉल लगे हुए थे । नोटबंदी के कारण खरीद बिक्री में परेशानी हो रही थी क्योंकि अधिकांश प्रकाशकों के पास कार्ड स्वाइप करने की मशीन नहीं थी । लेकिन आपसी तालमेल से कई विक्रेता इस समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे थे ।
हिन्दी के बड़े प्रकाशनों में से एक राजकमल प्रकाशन ने यहाँ स्टॉल लगाया हुआ था । इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकाशनों की हिन्दी किताबों के स्थानीय विक्रेता और प्रकाशक मिलिन्द प्रकाशन, भारत सरकार के प्रकाशन विभाग की हैदराबाद शाखा और नेशनल बुक ट्रस्ट की हैदराबाद शाखा सहित कुछ अन्य स्टॉल्स पर भी हिन्दी की किताबें उपलब्ध थी । हालांकि शुरू के दो स्टॉल्स पर सीमित संख्या में और अन्य सभी स्टॉल्स पर अपर्याप्त संख्या में ही हिन्दी की किताबें थीं । यह दुखद था कि साहित्य अकादमी जैसी साहित्य को समर्पित केन्द्रीय संस्था इस मेले में शरीक नहीं थी । केन्द्रीय भाषा संस्थान, मैसूर की भी इस मेले में भागीदारी नहीं थी । केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय और केन्द्रीय हिन्दी संस्थान जैसी हिन्दी के प्रचार को समर्पित सरकारी संस्थाओं का अहिन्दी भाषी क्षेत्र के पुस्तक मेले में शरीक नहीं होना इन संस्थाओं की नीयत पर सवाल खड़ा करता है । सरकारी सहयोग प्राप्त करने वाली स्थानीय हिन्दी संस्थाएँ भी यहाँ अपने प्रकाशनों के साथ उपस्थित नहीं थी । इससे इतना तो पता चल ही जाता है कि ये संस्थाएँ अपने उद्देश्यों को लेकर कितनी कम गंभीर हैं ! हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा का प्रकाशन भी यहाँ अनुपस्थित था जबकि वर्धा, हैदराबाद से बहुत अधिक दूरी पर नहीं है । अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के पुस्तक मेलों में ऐसी संस्थाओं की अनुपस्थिति से एक अच्छा अवसर तो चूकता ही है, बेहद नकारात्मक संदेश भी जाता है,  इसलिए इस दिशा मे गंभीरता से विचार और पहल करने की जरूरत है ।

इस वर्ष यह पुस्तक मेला एनटीआर स्टेडियम, इन्दिरा कला पार्क, टैंक बंड इलाके में था । मुझे इस पुस्तक मेले के आयोजकों की व्यवस्था संतोषजनक लगी । प्रवेश टिकट की कीमत महज 5 रुपये रखी गयी थी, जो मेरे अनुमान से कम था । दो पहिया वाहनों के लिए दिनभर का पार्किंग शुल्क मात्र 10 रुपये था, मेरा अनुमान है कि चारपहिया वाहनों के लिए यह अधिक से अधिक 20 रुपये होगा । तकरीबन 200 प्रकाशनों की भागीदारी वाले 275 से अधिक स्टॉल कतारों मे करीने से सजे थे । आवागमन के लिए पर्याप्त स्थान था और पुस्तक मेले का माहौल पुस्तक संस्कृति के अनुकूल था । मुख्य द्वार के समीप ही एक मंच बना हुआ था जिस पर लगातार सांस्कृतिक साहित्यिक कार्यक्रम हो रहे थे । पुस्तक मेले के ठीक बाहर स्थानीय बाजार की दरों पर ही नाश्ता-पानी उपलब्ध कराने वाले स्टॉल्स के साथ स्थानीय परंपरागत पकवानों के भी कुछ स्टॉल्स लगे हुए थे ।
इस पुस्तक मेले का आयोजन हैदराबाद बुक फेयर सोसाइटी करती है, इस पुस्तक मेले के लिए समर्पित एक फेसबुक पेज के अनुसार इस संस्था का गठन 1985 में हुआ था । पुस्तक संस्कृति के विकास के लिए प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थाओ ने मिलकर इसे गठित किया था । तब से लगभग प्रतिवर्ष इस पुस्तक मेले का आयोजन होता रहा है । इसके स्थान में समय-समय पर परिवर्तन होता रहा है । पुस्तक मेले में लगे कुछ बैनर्स के आधार पर मेरा अनुमान है कि तेलंगाना सरकार का भाषा और संस्कृति विभाग इस आयोजन में अपना सहयोग देता है । 

दिल्ली पुस्तक मेले में पिछले कुछ वर्षों से जाना नहीं हो पा रहा है । लेकिन यहाँ नहीं पहुँच पाने की कसक देश के किसी भी शहर में रहने वाले को नहीं होगी, बशर्ते इस तरह के पुस्तक मेलों का आयोजन जगह-जगह हो और केन्द्र और राज्य सरकारें इस दिशा में गंभीर बने । पुस्तक मेले एक ही जगह पर बहुत सारी नयी-पुरानी और विभिन्न प्रकार की पुस्तकों के क्रय-विक्रय की जगह तो होते ही हैं साथ ही यह लेखकों पाठकों और प्रकाशकों के मिलने-जुलने, संवाद करने, सीखने और खुद को समृद्ध बनाने के स्थल भी होते हैं ।


हैदराबाद पुस्तक मेले के आयोजन से सम्बंधित कुछ लिंक : 


#30th Hyderabad National Book Fair 2016, Book Fair Society Hyderabad -Secunderabad, NTR Stadium, Hindi Books in Hyderabad, Milind Prakashan, Rajkamal Prakashan in Hyderabad, National Book Trust Hyderabad, Publication Division Hyderabad, Hyderabad Book lovers, Hindi English Telugu Urdu Books

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