Wednesday 5 April 2017

अरेक्ति प्रेमेर गोल्पो

रितुपर्णो घोष
रितुपर्णो घोष की फ़िल्में देखने के लिए आपको बंगाली आना ज़रूरी नहीं है । उनकी फिल्मों के दृश्य, पात्र और विषयवस्तु ख़ुद ही आपसे आपकी भाषा में संवाद स्थापित कर लेते हैं। शर्त सिर्फ इतनी होती है कि सिनेमा विधा में आपकी रुचि होनी चाहिए। यकीन मानिए रितुपर्णो की फ़िल्में आपको बहुत समृद्ध करेंगी।

उनकी फ़िल्में धीरे-धीरे चलती हैं बिना किसी जल्दबाजी के। मेरे खयाल से यह उन्हें विषय वस्तु के साथ सही और संवेदनशील बर्ताव का अवकाश देती हैं। मानवीय गरिमा व सम्मान और प्रेम व जीवन की उत्कट लालसा रितुपर्णों के सिनेमायी दृष्टिकोण के केन्द्र में रहते हैं ।
फिल्म का एक दृश्य

उनकी कई बेहतरीन फिल्मों में से एक है : अरेक्ति प्रेमेर गोल्पो’ (Just another love story) वास्तविक जीवन में बंगाली रंगमंच के एक वरिष्ठ कलाकार चपल भादुरी को केन्द्र में रखकर यह फिल्म बनायी गयी है। चपल बंगाली रंगमंच की उस परंपरा के अंतिम जीवित कलाकार माने जाते हैं, जिसमें पुरूष स्त्री पात्रों की भूमिका निभाते हैं । बंगाली लोकनाट्य और लोकनृत्य में चपल ऐसी भूमिकाएं निभाते रहे हैं। चपल भादुरी के इस सराहनीय कला कौशल  के बावजूद चुनौतियाँ तब बढ़ने लगी जब उनके समलैंगिक रुझान की बात सार्वजनिक होने लगी । इसके बाद उन्हें रंगमंच पर काम मिलना बहुत कम हो गया और उन्हें कुछ भूमिकाओं तक सीमित हो जाना पड़ा। चपल भादुरी के जीवन से एक पुरूष के दैहिक प्रेम और छल की कहानी भी जुड़ी हुई है। एक समलैंगिक के लिए समाज में प्रेम, सम्मान और गरिमा हसिल करना कितना अधिक चुनौतिपूर्ण है, चपल भादुरी का जीवन इसका उदाहरण है।
चपल भादुरी
इस फिल्म में चपल भाधुरी पर फिल्म बना रहे निर्देशक को भी समलैंगिक दिखाया गया है। समानांतर चलती कहानी में समलैंगिक निर्देशक के जीवन में भी गरिमा और प्रेम का यही संकट दिखाया गया है जबकि चपल भाधुरी और उस निर्देशक के बीच कम से कम एक पीढ़ी का अंतर तो है ही। यानी यह फिल्म यह दिखा पाने मे कामयाब हो सकी है कि समलैंगिको को लेकर आज भी मानसिकता और परिस्थितियों में बहुत अंतर नहीं आया है। इस फिल्म में ऐसी कई अन्य घटनाओं का संयोजन हुआ है जो यही अभिव्यक्त करती हैं ।
इस फिल्म में चपल भादुरी की भूमिका ख़ुद चपल भादुरी को दी गयी है । इसी तरह फिल्म के भीतर बन रही फिल्म के निर्देशक की भूमिका ख़ुद रितुपर्णो घोष ने निभाई है। चपल के युवा दिनों की भूमिका भी रितुपर्णों ने ही निभाई है। यह अद्भुत प्रयोग है। दरअसल रितुपर्णो घोष का जो सिनेमा संसार है, वह ऐसे उद्देश्यपूर्ण रचनात्मक प्रयोगों की प्रयोगशाला भी रहा है।
'अरेक्ति प्रेमेर गोल्पो' का ट्रेलर


[1 दिसम्बर 2017 को ‘यूथ की आवाज़’ (YKA) पर प्रकाशित]
#Rituparno Ghosh #Just Another Love Story #Chapal Bhaduri 

No comments:

Post a Comment