किसी
भी फिल्म में नसीरुद्दीन शाह की उपस्थिति मात्र भी सुकून देने वाली होती है। उनकी
अदाकारी में एक ख़ास किस्म का आकर्षण मौजूद रहता है । एक ऐसा आकर्षण जिससे आप बंधे
रह जाना चाहते हैं । पार, मंडी, स्पर्श, बाज़ार, कथा और मानसून
वेडिंग जैसी फिल्मों में निभाए नसीरुद्दीन के किरदार उनके निभाए कई बेहतरीन
किरदारों की बानगी भर हैं ।
उनके निभाये एक किरदार मिर्ज़ा ग़ालिब का विशेष उल्लेख ज़रूर होना
चाहिए । ग़ालिब जब भी याद आते हैं, तो मुझे उनके
चेहरे के बतौर नसीर साहब का चेहरा ही याद आता है । इस किरदार को उन्होंने निभाया ही इतनी शिद्दत
से है कि ऐसा होना स्वाभाविक है । गुलज़ार ने दूरदर्शन के लिए बनाए गये 'मिर्ज़ा ग़ालिब' के निर्माण के दिनों को याद करते
हुए एक इंटरव्यू में कहा था कि, उस धारावाहिक के दौरान नसीर
मिर्ज़ा ग़ालिब के किरदार को निभाते हुए, इस क़दर ग़ालिब हो
जाया करते थे कि अपना शॉट देने के बहुत बाद तक भी वे कहीं खोए हुए बैठे रहते थे ।
उन्हें झकझोर कर उस किरदार से बाहर निकालना पड़ता था !
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