Thursday, 10 August 2017

सराहाह के ख़तरे

जिस देश में अजनबियों के अनचाहे कॉल्स, टैक्स्ट मेसेज वगैरह के पीड़ितों या मानसिक रूप से परेशान लोगों की संख्या बहुत अधिक है, जहाँ ऐसे मामले में कुछ लोग ही कानून की मदद लेने के लिए आगे बढ़ पाते हैं, और ऐसे मामलों में भी इंसाफ़ मिलना बहुत कठिन रहा है, उसी देश में एक ऐसे नये ऐप को लेकर लोगों की दीवानगी अचंभित कर रही है, जो बिना पहचान उजागर किये इसके यूज़र्स तक लोगों को संदेश भेजने के अवसर दे रहा है।
मेरा अनुमान है कि बहुत जल्दी ही ये ऐप बड़ी समस्या साबित होने वाला है। पहचान ज़ाहिर कर भी अभद्रता करने, धमकियाँ देने, अश्लील संदेश और प्रस्ताव भेजने में नहीं हिचकने वाले लोगों के समाज में पहचान गोपनीय रहने की गारंटी मिलने पर ऐसी ही सुविधा का इस्तेमाल किन-किन रूपों में हो सकता है, इसकी कल्पना करना भी मेरे बूते से बाहर है!
मेरा व्यक्तिगत मत है कि स्वस्थ और सुरक्षित संवाद के लिए पहली आवश्यक शर्त ही वास्तविक पहचान को एक दूसरे पर ज़ाहिर करना होना चाहिए। छुपी हुई दुश्मनी ही नहीं छुपी हुई आशिकी भी भयावह परिणाम देने वाली हो सकती है!
#Sarahah

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