फिल्म
इजाज़त के लिए गुलज़ार ने एक गीत लिखा और उसे फिल्म के संगीतकार आर.डी बर्मन के
पास लेकर गये। गीत के बोल, उसका फॉर्म और नये तरह
के रूपक आर.डी बर्मन के पल्ले नहीं पड़ रहे थे। वे बुरी तरह चिढ़ गये और बोले कि
कल को तुम अखबार से कोई खबर उठा लाओगे और कहोगे कि इस पर धुन बना दो तो क्या मैं
बनाने बैठ जाउंगा? गुलज़ार उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे
लेकिन जिद्दी पंचम दा को कौन समझा सकता था भला!
इन
दोनों की बातचीत को कोई और भी सुन रहा था। बातचीत के दौरान ही लिखा हुआ गीत उनके
हाथों में आया और उन्होंने यूँ ही उसे गुनगुनाने की कोशिश की। यह इतना प्रभावी था
कि आर.डी बर्मन ने उनसे एक बार फिर इसे गुनगुनाने को कहा। एक संगीतकार ने इस
गुनगुनाहट में इस गीत का मर्म पा लिया और आज वह गीत गुलज़ार के लिखे सबसे बेहतरीन
गीतों में शुमार है।
'मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है' को गुनगुनाने
वाले उस शख्स का नाम जानते हैं आप? वे थीं, मशहूर पार्श्व गायिका आशा भोंसले। बाद में उन्होंने ही इस गीत को गाया भी।
आशा की नैसर्गिक संगीत प्रतिभा का परिचय देने में अकेले यह प्रसंग भी समर्थ है।
आशा
ने अनेक भाषाओं में हज़ारों गीत गाये हैं। माना जाता है कि उनकी गायकी का रेंज बहुत
बड़ा है। उनका जबरदस्त एनर्जी लेवल भी उन्हें विशिष्ट बनाता है। उनके चाहने वालों की बड़ी तादाद है। हिन्दी सिनेमा को
उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है और यह हमेशा ही उल्लेखनीय रहेगा।
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