Monday, 20 August 2018

यह तंगदिली क्यों?

एक राजनेता के बतौर नवजोत सिंह सिद्धू मुझे कहीं से प्रभावित करने वाले नहीं लगते लेकिन इमरान खान के शपथग्रहण समारोह में आमंत्रित किये जाने पर सिद्धू का पाकिस्तान जाने का फैसला मेरे ख़याल से एक अच्छा फैसला था। वहां के सेना प्रमुख से उनका गले मिलना किसी भी दृष्टि से नकारात्मक नहीं कहा जा सकता। समारोह के दौरान उन्हें किसकी बगल में जगह दी गयी या उन्होंने अपनी बगल में बैठे किस व्यक्ति से बात की, इसे आलोचना का विषय बनाना बेवकूफी है। जब से सिद्धू लौटकर आये हैं इन बातों को लेकर उनका भारी विरोध हो रहा है, उन्हें देशद्रोही सिर्फ कहा ही नहीं जा रहा बल्कि उनपर देशद्रोह का मुकद्दमा भी कायम किया गया है, यही नहीं उनका सिर काटकर लाने वाले के लिए इनाम भी रखे जा रहे हैं!
यदि भारत और पाकिस्तान दो दुश्मन देश हैं और यही सबसे बड़ी सच्चाई है, तो शपथग्रहण समारोह में सिद्धू को आमंत्रित करने के फ़ैसले और सेना प्रमुख द्वारा उन्हें गले लगाने का पाकिस्तान में भी तीखा विरोध होना चाहिए था, लेकिन मेरी जानकारी में वहाँ ऐसा नहीं हो रहा है। यदि विरोध हो भी रहा होगा, तो विरोध करने वाले गिने-चुने लोग ही होंगे! विकट से विकट परिस्थिति में भी दोस्ती, शान्ति और सौहार्द की पहल करना हमेशा स्वागत योग्य ही होता है। कायदे से यदि वहाँ सिद्धू मिलनसार दिखने की बजाय अकड़ दिखाते तो यह निंदनीय होता। हमें सोचना चाहिए कि क्या तंगदिली के कीर्तिमान स्थापित करने में हमारी दिलचस्पी बहुत बढ़ गयी है?

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