Friday 17 March 2017

तिवारी जी की तमीज़

मनोज तिवारी की पहली पहचान एक गवैये की थी और इसी पहचान के बल पर वे नेता बने, लेकिन जिसने बगल वाली जान मारेलीजैसे गीत से अपनी पहचान बनाई हो उसमें कला की कितनी समझ होगी और उसमें कला के प्रति कितना सम्मान होगा यह अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है!
बीते शुक्रवार (10 मार्च) को यमुना विहार के एक नगर निगम स्कूल के कार्यक्रम में उन्होंने अपनी इसी मूढ़ता का परिचय दिया । हुआ यह कि उस कार्यक्रम का मंच सञ्चालन कर रही एक शिक्षिका ने इलाके के सांसद और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मनोज तिवारी को मंच पर बुलाते हुए यह आग्रह किया कि वह बच्चों को दो पंक्तियाँ भी गाकर सुनाएँ । इस बात पर मनोज तिवारी बुरी तरह भड़क गए और उन्होंने शिक्षिका को कहा कि आपको सांसद से बात करने की तमीज नहीं है, यहाँ दो करोड़ के सीसीटीवी कैमरे लग रहे हैं और आप सांसद को गाना गाने के लिए कह रही हैं! यहाँ कोई नाटक नौटंकी नहीं चल रहा है । यह कहते हुए उन्होंने शिक्षिका को मंच से उतरने पर मजबूर कर दिया और साथ ही उनपर कारवाई करने के भी निर्देश दिए ।
मनोज तिवारी जैसे लोगों के लिए कला वह सीढ़ी होती है जिसपर पैर रखकर उन्हें सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ साधते हुए आगे बढ़ना होता है । उसदिन कार्यक्रम में मनोज तिवारी ने न सिर्फ शिक्षिका का बल्कि गायन कला का भी अपमान किया और गायन के प्रति उस दिन जो उनकी घृणा प्रकट हुई वह खुद उनकी अपने उस गवैये व्यक्तित्व के प्रति घृणा है जिसने उन्हें लोकप्रियता दिलाई और जिसके सहारे आज वह टार्ज़न बने कूदते हैं! लेकिन यह बात समझने लायक बुद्धि तिवारी जी में होती तो यह अफसोसनाक घटना ही क्यों घटती!!

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