हर्षिता
दहिया उस समाज की लड़की थी, जहाँ लड़कियों का घर से बाहर
निकलना, जींस पहनना, फोन रखना तक बुरी
बात समझी जाती है, ऑनर किलिंग जहाँ आम बात है, ऐसे समाज की कोई लड़की पंचायत में बैठकर सामाजिक उत्तरदायित्व और राजनीतिक
मसलों पर मुखर होकर बात करे तो यह असाधारण घटना ही है ।
17 अक्टूबर 2017 को हर्षिता किसानों के हकों के लिए
आयोजित की गई एक सभा को संबोधित करने गई थी । वहाँ उसने बार-बार इस बात पर ज़ोर
दिया कि किसानों के हक़ छीने जा रहे हैं और यदि हम समय रहते उनके साथ खड़े नहीं
हुए तो हम सब भूखे मरेंगे । उसने लोगों से किसानों के हक़ में जात-पाँत से ऊपर
उठकर इंसानियत के नाते एकजुट होने का आग्रह किया । सभा सम्पन्न होने के बाद जब वह
लौट रही थी, तब बीच रास्ते में उसकी कार को रोक कर उसपर
ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर, उसकी हत्या कर दी गयी ।
हर्षिता
कई मोर्चों पर संघर्षरत थी । हरियाणा की लोक गायिका और डांसर होने के नाते वह
कलाकारों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष कर रही थी । खबरों के मुताबिक अपने निजी
जीवन में भी वह कई तरह के संघर्षों से गुजर रही थी । अपनी बेबाकी, अपनी चेतना और साहस के कारण हर्षिता एक सशक्त महिला के बतौर उभर रही थी ।
कायरों ने उसकी हत्या करके अपनी बहादुरी तो साबित कर दी, लेकिन
हरियाणा ने एक बहादुर और संभावनाशील लड़की को खो दिया ।
हरियाणा
के लोगों को इस हत्या के बाद उबल पड़ना चाहिए था और सरकार और कानून के रखवालों से
हिसाब मांगना चाहिए था । उन्हें समाज की सड़ी हुई और हिंसक मानसिकता वाले तत्वों
का बहिष्कार शुरू कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा
कुछ भी नहीं हुआ । एक बार यह फिर से सिद्ध हुआ कि हत्या भले ही एक ज़िंदा लड़की की
हुई हो, लेकिन बेशक वह मुर्दापरस्तों की बस्ती में रहा करती
थी!
हर्षिता
दहिया की हत्या की जाँच भी आनन-फानन में बहुत ही अजीब तरीके से हुई । हरियाणा
पुलिस ने एक हफ्ते के भीतर इस मामले को सुलझा लेने का दावा किया था । हर्षिता की
माँ की हत्या के मामले मेंपहले से जेल में बंद हर्षिता के बहनोई से यह कबूल करवा
लिया गया कि उसी ने हर्षिता की भी हत्या करवायी है । खबरों के मुताबिक हर्षिता
अपनी माँ की हत्या की एकमात्र चश्मदीद गवाह थी । जेल में पहले से बंद संगीन अपराध
के एक आरोपी से यह कबूल करवा लेना कि उसी ने उसपर लगे आरोप के एक चश्मदीद की हत्या
करवा दी,
क्या बहुत कठिन काम है?
हर्षिता
ने अपने कुछ पिछले फेसबुक लाइव में कुछ लोगों से उसे मिल रही धमकियों की बात की
थी। उसे फेसबुक प्रोफाइल पर सार्वजनिक रूप से भी धमकियाँ दी जा रही थीं । उसकी
बातों से यह संकेत मिलता है, कि उसे धमकियाँ देने
वाले उसके रिश्ते के लोग नहीं थे । यह अफसोसनाक है कि इस मसले पर हरियाणा पुलिस ने
सभी ज़रूरी कोणों से जाँच करने की ज़रूरत नहीं समझी । मुमकिन है कि अपने प्रतिरोधी स्वभाव, साहस और अपनी बढ़ रही लोकप्रियता की वज़ह से वह कुछ लोगों के निशाने पर हो
। बहुत मुमकिन है कि हरियाणा पुलिस इस घटना के असल अपराधियों को उनके रसूख की वज़ह
से बचा रही हो ।
हरियाणा
पुलिस के निष्कर्षो पर यकीन कर लेने से पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हाल ही
में हरियाणा पुलिस के द्वारा गुड़गाँव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के एक छात्र
प्रद्युम्नकी हत्या का मामला सुलझाने का दावा भी ग़लत साबित हुआ है । स्कूल के बस
कंडक्टर अशोक को हरियाणा पुलिस ने न सिर्फ पीडोफ़ाइल और हत्यारा बताया बल्कि कथित
तौर पर अशोक को टॉर्चर करते हुए ज़ुर्म भी कबूल करवा लिया था। बाद के सीबीआई जाँच
में अशोक को निर्दोष पाया गया और एकदम अलग ही थियरी सामने आयी ।
इस
घटना का एक और दुर्भाग्यपूर्ण पहलू मीडिया की खराब रिपोर्टिंग है । हर्षिता दहिया
की हत्या को लेकर संवेदनशीलता के साथ न्याय की ज़रूरत पर बात करना तो दूर मीडिया
में हर्षिता को लेकर घटिया, अपमानजनक और पूर्वाग्रह से
ग्रस्त रिपोर्टिंग की गयी। उदाहरण के लिए न्यूज चैनल ‘आजतक’
की वेबसाइट पर लगायी गयी रिपोर्ट की भाषा पर ग़ौर कीजिए, जो कहती है कि-'दिल्ली और हरियाणा की महफिलों की जान
हुआ करती थी हर्षिता'! स्त्री विरोधी और असंवेदनशील भाषा का
प्रयोग तो खैर हमारे देश की मीडिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन पूर्वाग्रह और घटियापने की हद देखिए, जब
रिपोर्टिंग आगे कहती है कि 'हत्या से पहले भी एक शानदार
कार्यक्रम देकर लौट रही थी हर्षिता'!
सच्चाई
यह है कि वह हरियाणा के पानीपत जिले में ऐसी सभा को सम्बोधित कर के लौट रही थी, जो विभिन्न जाति बिरादरियों में एकता स्थापित कर किसानों के हक़ में
संघर्ष को तेज करने के उद्देश्य से आयोजित की गयी थी । उसकी हत्या से दो घंटे पहले
के फेसबुक लाइव हर्षिता की फेसबुक वॉल पर मौजूद है, कोई चाहे
तो इन्हें देख सकता है ।
हरियाणा
पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था और जाँच प्रक्रिया पर सवाल उठाने के बजाय 'आजतक' हरियाणा पुलिस के हवाले से खबरें छाप रही थी
कि, हर्षिता एक गैंगेस्टर थी और अपने लिए इंतकाम चाह रही थी!
कितनी कमाल की थियरी है, एक इंतकाम चाहने वाली गैंगेस्टर
निहत्थी गोलियाँ खाने के लिए निकल पड़ी थीं!
हर्षिता
हरियाणा की उभरती लोक गायिका थी लेकिन उसकी जघन्य हत्या के मामले में सत्ता और
विपक्ष तो छोड़िये वैकल्पिक राजनीति का दावा करने वाले हरियाणा के मुखर नेताओं में
से भी किसी ने संवेदनशीलता के साथ प्रतिक्रिया देना तक ज़रूरी नहीं समझा । इस घटना
को अब एक महीने से अधिक बीत चुका है। मीडिया से तो इस घटना से जुड़ी ख़बरें
तीन-चार दिन बाद ही ग़ायब हो गयी थी,हम सबने भी
यह मानकर कि इस मामले में अब कुछ भी नहीं बचा है और यह मामला सुलझाया जा चुका है,
उधर से ध्यान हटा लिया है । इस मामले में यदि कुछ बचा रह गया है,
तो वह न्याय का प्रश्न है । कानून व्यवस्था का प्रश्न है । जीने के
अधिकार का प्रश्न है । इस घटना के ज़िम्मेदारों कोचिह्नित करने का प्रश्न है । आगे
से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किये गये, इसका
प्रश्न है ।
वैसे
हम सब को आदतन यह सब भुला कर प्रसन्न हो जाना चाहिए! एक 'नाचने गाने वाली' की जिंदगी के वैसे भी क्या मायने!
इंतकाम लेने निकली निहत्थी गैंगेस्टर लड़की का तो यही हश्र होना ही चाहिए था! सच
यह है कि हरियाणा पूरी तरह सुरक्षित है । पूरा देश ही बहुत सुरक्षित है । हर तरफ
न्याय ही न्याय है! सत्यमेव जयते!
#Brutal Murder Of Harshita Dahiya #Dancer Harshita Dahiya #Hariyana
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