Monday, 4 December 2017

हमेशा याद किये जायेंगे शशि कपूर

18 मार्च 1938 को कोलकाता में जन्में शशि कपूर फिल्मों के अलावा थिएटर से भी गहरा जुड़ाव रखते थे। उनकी पत्नी जेनिफ़र भी एक थिएटर आर्टिस्ट थीं और दोनों के बीच मुलाकात भी कलकत्ता में तब हुई थी, जब जेनिफ़र अपने पिता के थिएटर ग्रुप और शशि अपने पिता के थिएटर ग्रुप में सक्रिय थे।
प्रतिष्ठित पृथ्वी थिएटर को भी फिर से खड़ा करने में पृथ्वीराज कपूर के इस सबसे छोटे बेटे शशि और बहु जेनिफ़र ने ही अपना योगदान दिया। इसके अलावा सिनेमा में शशि कपूर की अपनी एक पहचान और लोकप्रियता रही है। बाल कलाकार के रूप में हालांकि उन्होंने अपनी पहली फिल्म 1948 में ही की थी। लेकिन एक वयस्क अभिनेता के बतौर वे साठ के दशक से नब्बे के दशक तक हिंदी और अंग्रेजी सिनेमा में लगातार सक्रिय रहे। 'दीवार' जैसी लोकप्रिय फिल्म में अपनी छाप छोड़ने वाले शशि कपूर ने कई संजीदा फिल्मों में भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी। नब्बे का दशक जिसे उनके अभिनय का अंतिम पड़ाव कह सकते हैं, में भी उन्होंने कुछ ऐसी फ़िल्में की हैं, जिनमें उनके अभिनय की तारीफ की जाती है, जैसे 'इन कस्टडी' (1993) और 'जिन्नाह' (1998)।

शशि ने लम्बी बीमारी के बाद आज इस दुनिया को अलविदा कह दिया। ऐसा माना जाता है कि 1984 में पत्नी जेनिफ़र के देहांत के बाद वे भावनात्मक स्तर पर बहुत टूट गए थे और अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह रहने लगे थे। एक दौर में अपनी फिटनेस के लिए जाने जाने वाले शशि का वजन भी बाद के दिनों में बहुत बढ़ गया था। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि कई सालों से वे दोपहर का खाना नहीं खाते थे, लेकिन पत्नी के देहांत के बाद उन्होंने बिना सोचे-विचारे कभी भी कुछ भी खाया। वे कहते थे कि जेनिफ़र नहीं रही तो किसके लिए फिट दिखना!
भारतीय सिनेमा और थिएटर की दुनिया में शशि कपूर हमेशा याद किये जाते रहेंगे। अलविदा और हार्दिक श्रद्धांजलि।

5 दिसम्बर को 'यूथ की आवाज़ (YKA)' पर भी प्रकाशित 
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