एक लम्बे दौर तक हिन्दी सिनेमा के लिए
जादुई संगीत रचने वाले,
लेकिन किसी भी तरह की ठसक से हमेशा दूर रहे, बेहद
विनम्र और बहुत ही उम्दा इंसान खय्याम साहब का आज जन्मदिन है।
18 फरवरी 1927 को इनका जन्म अविभाजित
पंजाब के नवाशहर जिले में हुआ था। 'फिर सुबह होगी', 'शगुन', 'कभी-कभी', 'उमराव जान',
'बाज़ार', 'थोड़ी सी बेवफाई' जैसी फिल्मों के गीतों में संगीत से जो अद्भुत प्रभाव पैदा किया गया है,
वह खय्याम साहब के समर्पण, साधना और ईमानदार
कलात्मक नज़रिये का ही परिणाम है।
अपने जीवन के 90वें वर्ष में प्रवेश
करते हुए 18 फरवरी 2016 को अपनी पत्नी जगजीत कौर (जो इनकी संगीत सहायिका और बेहद
कम गीत गाकर भी पर्याप्त प्रतिष्ठा हासिल करने वाली गायिका रही हैं) के साथ मिलकर
खय्याम ने अपनी ज़िन्दगी भर की मेहनत से कमाई गई पूरी चल-अचल संपत्ति (जो दस करोड़
के लगभग है) को एक ट्रस्ट में तब्दील कर दिया है। यह ट्रस्ट इस उद्देश्य से बनाया
गया है कि उनके जीवनकाल में और बाद में भी आर्थिक संकट से जूझ रहे और संघर्षरत
कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाये।
खय्याम साहब को जन्मदिन की बहुत
शुभकामनाएं। जगजीत जी और आप, दोनों ही स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें और सक्रिय रहें यही दुआ है।
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