मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU)
हमारी यूनिवर्सिटी से महज़ तीन-चार किलोमीटर ही दूर है। करीब पांच
वर्षों से हैदराबाद में होने के बावजूद इस यूनिवर्सिटी में जाने का कभी संयोग नहीं
बन पाया था। आज वहां एक दो दिवसीय सेमिनार का पहला दिन था और मुझे लगा कि इसे 'मानू' घूमने का एक अच्छा बहाना बनाया जा सकता है।
इस यूनिवर्सिटी का अच्छा-खासा और बेहद
सुव्यवस्थित परिसर है। यह परिसर प्राकृतिक रूप से भी समृद्ध और बेहद साफ-सुथरा है।
यहां की सेंट्रल लाइब्रेरी में विभिन्न विषयों की किताबों के रख-रखाव और पढ़ने के
लिए अलग-अलग कई कमरे बने हुए हैं, ऐसा किसी लाइब्रेरी में
मैंने पहली बार देखा!
लेकिन इस विश्वविद्यालय में दो बातें
मुझे बहुत खटकी भी। इतना साफ-सुथरा विश्वविद्यालय होने के बावजूद यहां कूड़ेदानों
का भारी अभाव था। इतना कि चाय पीते हुए थोड़ी दूर निकल जाने के बाद खाली कप को
ठिकाने लगाने के लिए मुझे उसे हाथ में लेकर लगभग पूरी यूनिवर्सिटी का चक्कर लगाना
पड़ गया!
दूसरी बात जो खटकी वह यह कि पूरे परिसर
में मैं जितनी देर तक रही या घूमती रही, मुझे एकाधिक
लड़के एकसाथ दिखे, एकाधिक लड़कियां एकसाथ दिखीं, लेकिन लड़के-लड़कियां एकसाथ नहीं दिखे तो ज़ाहिर है कि कोई कपल तो बिल्कुल
भी नहीं दिखा!

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