सुप्रीम
कोर्ट की वकील रूना भुयान ने लोकप्रिय पार्श्वगायक पापोन के खिलाफ नेशनल कमीशन फॉर
प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट (NCPCR) में एक कम्प्लेंट
दर्ज कराई है। अब तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार बीते मंगलवार (20 मार्च 2018) को
रिएलिटी शो 'द वॉइस इंडिया किड्स' को
जज कर रहे पापोन होली स्पेशल शो के बाद प्रतिभागी बच्चों के साथ एक वैनिटी वैन में
मस्ती कर रहे थे। जिसका लाइव वीडियो फेसबुक पर शेयर किया जा रहा था। इस दौरान एक
किशोर बच्ची को उन्होंने पूरे चेहरे पर रंग लगाया और चूमा। वीडियो देखकर यह समझा
जा सकता है कि उनकी यह हरकत बच्ची को असहज करने वाली थी, और
उनका बच्ची के गाल को छूने और रंग लगाने का तरीका भी बेहद बेहूदा था। इस वीडियो
में पापोन कुछ और बच्चियों को गालों और कंधों पर इस तरीके से छूने की कोशिश करते
हैं, जो असहज करने वाला है।
मैं
रूना भुयान के इस बयान से भी पूरी तरह सहमत हूँ, जिसमें
उन्होंने कहा है कि एक नाबालिग लड़की के साथ पापोन का ऐसा व्यवहार हैरत में डालने
वाला है और यह वीडियो देखकर रिएलिटी शो में बच्चों की सुरक्षा को लेकर वे चिंतित
हैं। इस वीडियो में यह सुना जा सकता है कि जब रंग लगाने के बाद पापोन बच्ची को चूम
रहे हैं तब उनके स्टाफ में से किसी की आवाज़ आती है कि यह क्या हो रहा है! और तब
पापोन यह पूछते हैं कि क्या अभी लाइव चल रहा है? बंद करो
इसे। इससे यह शंका और बढ़ जाती है कि इस वीडियो में जो दिखा, उससे कहीं अधिक इस तरह के शो के प्रतिभागी बच्चों को झेलना पड़ता होगा जो
कई कारणों से कभी सार्वजनिक नहीं हुआ।
पापोन
का कहना है कि यदि उनका इंटेशन बुरा होता तो वे खुद ही इसे फेसबुक लाइव क्यों
करते। दरअसल इस मसले पर वह अर्धसत्य कह रहे हैं। उनका यह तर्क वीडियो में दी गयी
उनकी खुद की उस प्रतिक्रिया से खारिज हो जाता है, जब
वे अपने स्टाफ के टोकने के बाद लाइव के तब तक चलते रहने पर अनभिज्ञता से सवाल करते
हैं और लाइव बंद करने का निर्देश देते हैं। इस बात का अनुमान मुझे पहले से ही था
कि शो के प्रतिभागी बच्चों के माता पिता पापोन की इस हरक़त के खिलाफ़ आवाज़ उठाने
से हिचकेंगे। अब तक यही हुआ भी है। प्रतिभागी बच्चे इतने परिपक्व नहीं हैं कि वे
इस तरह की हरक़तों से असहज़ होने के बावजूद भी यह तय कर पाने में सक्षम हों कि
वास्तव में क्या हुआ!
वह
विचित्र स्थिति होती है जब ग़लत हरक़तों के शिकार बच्चों के साथ माता पिता या
संरक्षक खड़े न हों और सब यह बताने की चेष्टा करें कि कुछ असहज करने जैसा हुआ ही
नहीं। पापोन का यह कहना कि उनका इंटेशन ग़लत नहीं था और फिर यह स्वीकारना कि आज के
दौर में बच्चियों को इस तरह छूने की सलाह नहीं दी जा सकती और फिर यह कहना कि उनको
बिना किसी गलती के निशाना बनाया जा रहा है, परस्पर
विरोधाभासी हैं। पापोन का इरादा यदि ग़लत नहीं भी था तो उनको बिना बातों को घुमाए
फिराए यह स्वीकार करना चाहिए कि उनसे बहुत गंभीर ग़लती हुई है और इस ग़लती को वे
किसी तरह जस्टिफाई नहीं कर सकते। इसके अलावा पापोन को अपने भीतर भी झांकना चाहिए।
यदि कहीं उनके भीतर पीडोफाइल के कोई लक्षण हैं, तो उन्हें
उससे बाहर आने के लिए खुद के प्रति ईमानदार होना पड़ेगा और मनोचिकित्सक से मदद
लेनी होगी। इसी तरह यदि उस समय वे किसी तरह के नशे की हालत में थे (जैसा कि वीडियो
में उनकी कुछ उटपटांग हरक़तों से संदेह होता है) तो यह भी गंभीर चिंता की बात है ,और यदि ऐसा है तो उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए और भविष्य में ऐसा नहीं
करने का संकल्प लेना चाहिए।
बहरहाल
इस मामले में यह तुरंत होना चाहिए कि पापोन को उस रिएलिटी शो के जज या कोच की
भूमिका से मुक्त करते हुए शो से पूरी तरह अलग कर दिया जाना चाहिए। शो के प्रतिभागी
बच्चों की इस तरह काउंसलिंग करायी जानी चाहिए कि उनके भीतर से किसी तरह के पीड़ित
भाव या किसी तरह के अपराध बोध को निकाला जा सके। इस मामले में चूँकि उचित
संवैधानिक फॉरम के समक्ष शिकायत दर्ज की जा चुकी है, इसलिए
उम्मीद की जा सकती है कि इस मसले पर उचित और संवेदनशील निर्णय आएगा। साथ ही यह
अपेक्षा भी जा सकती है कि इस तरह के शो के माहौल को उत्पीड़न रहित और स्वस्थ बनाने
की दिशा में ठोस दिशा निर्देश जारी किये जाएँगे। ज़रूरी यह भी है कि परिजन भी अपने
बच्चों की सुरक्षा और उन्हें स्वस्थ माहौल उपलब्ध कराने को लेकर जागरूक और सतर्क
बने।
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