Saturday, 3 March 2018

शादी के बारे में तेजस्वी की पिछड़ी सोच पूरे बिहार का प्रतिनिधित्व नहीं करती!

हाल ही में बीबीसी के एक इंटरव्यू में बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालूप्रसाद यादव और राबड़ी देवी के छोटे पुत्र, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव से जब यह पूछा गया कि ‘क्या वे अंतर्जातीय विवाह करेंगे?’ तो उन्होंने बहुत ही गंभीरता से जवाब देते हुए कहा : इंटर कास्ट मैरिज करना या नहीं करना या किस लड़की से हम शादी करेंगे, ये मेरा फैसला है ही नहीं न! हम बिहारी लोग हैंये हमारे माता-पिता का अधिकार है’!
तेजस्वी को इससे कोई रोक नहीं सकता कि वे अपना विवाह अपने माता पिता की ही मर्ज़ी से करें, लेकिन उनके बयान में जिस तरह से बिहार के सभी युवाओं को जेनरलाइज़ करने की कोशिश की गयी है, वह बेहद अफसोसनाक है। तेजस्वी को यह ध्यान रखना चाहिए था, कि उन्हें किसी ने पूरे बिहार की सांस्कृतिक ठेकेदारी नहीं दे रखी है। उनके इस विचार से जहाँ विवाह को लेकर रूढ़िवादी मानसिकता प्रोत्साहित होगी, वहीं बिहार की एक अनावश्यक पिछड़ी तस्वीर लोगों के सामने पेश होगी। इस बयान से इतना ज़रूर तय हो जाता है, कि तेजस्वी कहीं से भी आधुनिक सोच रखने वाले बिहार के युवाओं का प्रतिनिधित्व करने के काबिल नहीं हैं।
विवाह के नाम पर माता-पिता (या अन्य परिजनों) की पसंद को अपनी संतानों पर थोपे जाने की परिपाटी बिहार में ही नहीं कमोबेश पूरे देश मे रही है। लेकिन इसके दुष्परिणामों ने और समय के साथ हुई वैचारिक प्रगति ने इस तरह की परिपाटी को बहुत हतोत्साहित किया है। समय के साथ यह धारणा मजबूत होती जा रही है कि पारंपरिक तरीके से तय होने वाली शादियों में भी उन लोगों के पसंद-नापसंद को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्हें साथ मिलकर जीवन जीना है। एक दौर ऐसा भी था जब बिना तस्वीरें देखे दो परिवारों के बीच रिश्ता तय हो जाया करता था, लेकिन अब पारंपरिक विवाहों में भी अक्सर ऐसा होने लगा है कि लड़का-लड़की विवाह से पहले न सिर्फ मिलते हैं, बल्कि संचार की नयी तकनीकों के माध्यम से संवाद कर एक दूसरे को जानने-समझने की कोशिश भी करते हैं। यह बदलाव पूरे देश के साथ बिहार में भी हो रहा है। इसके बावज़ूद इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता कि अब भी बहुत सारी शादियाँ रूढ़िवादी तरीके से होती हैं। यह दुखद है और इस बात की ज़रूरत है कि इस तरह की परिपाटी के खिलाफ व्यापक जागरूकता लायी जाए। लेकिन जब किसी राज्य के उपमुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार पद को संभाल चुके एक युवा नेता इस तरह का जेनरलाइज़्ड बयान दें कि विवाह के बारे में फैसला लेने का अधिकार युवाओं के बजाय उनके माता पिता को है तो इसका सिर्फ और सिर्फ नकारात्मक प्रभाव ही पड़ सकता है।    
तेजस्वी के इस बयान से बिहार के उन लाखों युवाओं की तौहीन हुई है, जिन्होंने अपने विवेक से अपने जीवनसाथी का चयन किया है, या करना चाहते हैं। इस बयान में बिहार के उन लोगों के संघर्षों के प्रति तो बड़ी ही हिकारत और संवेदनहीनता प्रकट हुई है, जिन लोगों ने परिवार और समाज के भारी विरोध के बावज़ूद सामाजिक बंधनों और कुरीतियों को धत्ता बताते हुए प्रेम विवाह किया है।
बिहार के लड़के ही नहीं बिहार की लड़कियाँ भी अपनी पसंद के जीवनसाथी चुनने को लेकर पर्याप्त मुखरता दिखा रही हैं। शिक्षा तक लगातार बढ़ रही पहुँच और आत्मनिर्भरता बढ़ने के साथ-साथ जीवन साथी के चयन के अधिकार को लेकर आत्मविश्वास में भी लगातार वृद्धि हो रही है, और आशा की जानी चाहिए कि आने वाले वर्षों में इस मसले पर पूरी बदली हुई तस्वीर दिखाई देने लगेगी।
यह एक कड़वा सच है कि अपनी पसंद से शादी करने वाले लोगों को कई बार अपने परिजनों और समाज का भारी असहयोग और विरोध झेलना पड़ता है, लेकिन हमेशा ऐसा ही हो, यह ज़रूरी नही है। यह मैं अपने अनुभव से भी जानती हूँ। मेरे पति भी बिहार के हैं, और उन्होंने यह खुद तय किया था कि उन्हें किससे शादी करनी है। हमारे अन्तर्जातीय और अन्तर्प्रांतीय प्रेम को लेकर शुरूआत में परिजनों को थोड़ी बहुत असहजता जरूर हुईं, लेकिन बाद में सभी ने न सिर्फ हमारे फैसले को स्वीकारा बल्कि विवाह समारोह को लेकर हमारी आडंबरविहीन और किफायती एप्रोच को भी सभी ने सहर्ष स्वीकारा और सराहा। मैं अपने छोटे से व्यक्तिगत परिचय और सीमित जानकारी के बावज़ूद बिहार के ऐसे कई युवक-युवतियों से परिचित हूँ, जिन्होंने प्रेम विवाह किया है या प्रेम विवाह करने को लेकर बेहद स्पष्ट हैं।
तेजस्वी ज़रूरी है कि आप बिहार की बदलती हुई तस्वीर के साथ ताल-मेल बैठाना सीखें। अपने ही समाज में हो रहे उस बदलाव को महसूस करें जो दशकों से बिहार की सत्ता में बैठे लोगों के मंसूबे पर पानी फेर रहा है। इसके अलावा एक सलाह यह भी है कि अपने समाज के पिछड़ेपन को भी ईमानदारी से महसूस करें और उसके निवारण का अगुवा बनने की कोशिश करें न कि पिछड़ेपन का ब्रांड एम्बेसडर बनने की, नहीं तो इसका परिणाम यह होगा कि आप अप्रासंगिक होते चले जाएँगे।

No comments:

Post a Comment