मैं
मेले के अपने प्रिय इलाके जहाँ बलून पर निशाना लगाने और जुआ खेलने का काम होता है
पहुंची। जमकर निशाना साधा और जुए में अधिकाँश रकम डूब गयी फिर भी प्लास्टिक बॉल
वाले जुए में एक की-रिंग जीता।इसके बाद पचास रूपए लगाकर कुल 20 रिंग्स फेंके, लेकिन इस बात का मुझे बहुत दुःख है कि सिर्फ एक बार रिंग निशाने पर लगा,
वह भी संयोग से और एक प्लास्टिक की स्प्रिंग चूड़ियाँ मेरे हिस्से
आयीं।

इस
मेले में यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स भी तरह-तरह के स्टॉल लगाते हैं। इस बार
खाने-पीने के दो स्टॉल बहुत ख़ास थे। मोमोज़ मुझे बेहद पसंद हैं लेकिन हैदराबाद में
यह बहुत कम ही मिलते हैं। दो-चार लड़कियों ने मिलकर मोमोज़ का स्टॉल लगाया था और उनके
स्टॉल पर उचित दर पर बेहद लज़ीज़ मिक्स वेज पनीर मोमोज़ मिल रहे थे। इस स्टॉल के पास
ही एक लिट्टी-चोखे का स्टॉल था जिसे दो-तीन लड़के मिलकर चला रहे थे। जो लिट्टी वहाँ मिल रही थी वह सेकी हुई लिट्टी नहीं थी, बहुत हलके तेल में फ्राइड थी लेकिन स्वादिष्ट थी और साथ में जो चटनी और
चोखा मिल रहा था वह भी लाजवाब था।
इस
बीच सुकून के मेन स्टेज पर लगातार कार्यक्रम चल रहे थे। इन तीन दिनों में पर्याप्त
सांस्कृतिक महत्त्व के कार्यक्रमों के अतिरिक्त धूम-धड़ाके वाले कार्यक्रम भी खूब
चलते रहते हैं। कल की आँधी और बरसात से प्रतिभागी कलाकारों, विक्रेताओं और विद्यार्थियों का जो हर्जा हुआ उसकी भरपाई के लिए मेले की
अवधि एक दिन और बढ़ा दी गयी है। यानि जिस मेले को आज ख़त्म हो जाना था वह कल ख़त्म
होगा और लोगों को एक और दिन मेले को एन्जॉय करने का मौका मिलेगा।
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