“हाशिये की लैंगिक पहचान या हाशिये की यौनिकता को फिल्मों का विषय बनाने वाली फिल्में अभी खुद सिनेमा के हाशिये पर हैं। इसके बावजूद ये फ़िल्में समाज की मानसिकता में हो रहे बदलावों को दिखाने और बदलावों के लिए प्रेरित करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। हिन्दी भाषा से इतर विभिन्न भारतीय भाषाओं में भी इस तरह की उल्लेखनीय फिल्में बनाई जा रही हैं।”
बया (अप्रैल-जून-2018)
संपादक- गौरीनाथ
हिंदी सिनेमा में हाशिये का समाज : 1(विशेषांक)
अंतिका प्रकाशन, सी-56/ यूजीएफ-4, शालीमार
गार्डन, एक्सटेंशन- II, गाजियाबाद-201005
(उ.प्र.)
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