Thursday 6 September 2018

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

समलैंगिकता को अपराध घोषित करने वाली आईपीसी की धारा 377 को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला है। लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी इस बेतुकी धारा को निरस्त करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के 2009 में आये ऐसे ही फैसले को खुद सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में रद्द कर दिया था। देर से ही सही लेकिन अपनी उस गलती को सुधार कर सुप्रीम कोर्ट ने एक दुरुस्त काम किया है।
इस मामले को सिर्फ समलैंगिकों के अधिकारों से जुड़े मामले के रूप में देखना एक संकुचित नज़रिया होगा, वास्तव में यह मानवाधिकार और गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार से जुड़ा मसला है। मुझे खुशी है कि हमारा देश थोड़ा और प्रगतिशील, थोड़ा और बेहतर हुआ है। सिर्फ LGBTQ+ समुदाय ही नहीं पूरे देश को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए।

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