Friday, 12 October 2018

तुम्बाड से लौटकर


कई कारणों से 'तुम्बाड' देखने जाना चाहिए। लालच बुरी बला है, इसे नये कथ्य और रूपकों के साथ देखने के लिए। फिल्म की ज़बरदस्त सिनेमेटोग्राफी के लिए। क्रिएटिव डायरेक्टर के बतौर आनंद गांधी की क्रिएटिविटी और निर्देशक के बतौर पहली फिल्म कर रहे राही अनिल बारवे के कौशल को देखने के लिए। और सबसे खास 'शिप ऑफ थीसियस' में बेहद सहज स्वाभाविक अभिनय के माध्यम से दर्शकों का दिल जीतने वाले सोहम शाह की अभिनय क्षमता के विस्तृत रेंज को देखने के लिए। 
तीन चैप्टरों में बंटी इस फिल्म का पहला चैप्टर हो सकता है आपको उतना नहीं बांध पाए, लेकिन दूसरे चैप्टर से आप अंत तक पूरी तरह इस फिल्म से बंध जाएंगे। और हां नन्हें एक्टर समद के लिए भी जाना चाहिए जिसकी अभिनय क्षमता का कमाल 'गट्टू' और 'हरामखोर' जैसी फिल्में देखने वाले दर्शक देख चुके हैं। मेरा अनुभव रहा कि यह फिल्म लालच के प्रति आगाह करती है, लेकिन खाली हाथ लौटने नहीं देती।

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