Wednesday, 24 October 2018

'तुम्बाड' का रोमांच


जिन सिनेमा प्रेमियों ने तुम्बाडसिनेमाघरों में जाकर नहीं देखी है, हो सकता है उन्हें इस बात का हमेशा मलाल रहे। मेरे खयाल से टीवी या लैपटॉप स्क्रीन पर इस फिल्म के पूरे रोमांच को महसूस नहीं किया जा सकता। वैसे अभी भी कई सिनेमाघरों में तुम्बाडलगी हुई है, इच्छा हो तो इस अवसर का लाभ उठाया जा सकता है। इस फिल्म को देख कर लौटने वाले कुछ लोगों की प्रतिक्रियाओं को सुनने के बाद मैं यह सलाह ज़रूर दूंगी कि इस फिल्म को जब देखने जाएँ तो यह सोचकर बिल्कुल भी न जाएँ कि यह एक हॉरर मूवी है, यह पूर्वाग्रह आपका मज़ा खराब कर सकता है।
इस फिल्म में सबकुछ बहुत वास्तविक दिखाने के लिए छ: सालों तक जबरदस्त टीमवर्क किया गया है। लोकेशन का चयन, सेट की पूरी परिकल्पना, मेकअप, डिजाइन वगैरह के लिए अथक मेहनत की गयी है। फिल्म में प्रभावी बैकग्राउंड म्यूजिक के लिए डेनिश म्यूजिशियन जेस्पर किड जेकॉब्सन (Jesper Kyd Jakobson) से संपर्क किया गया, जिन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ लॉस एंजल्स (यूएसए) स्थित अपने स्टूडियो में इस फिल्म के लिए म्यूजिक तैयार किया। इस फिल्म में एक ही गीत है, और वो बेहद प्रभावी है। इस गीत के कुछ-कुछ अंश पूरी फिल्म में कई बार बजते हैं। राजशेखर के लिखे हुए इस गीत का म्यूजिक अजय-अतुल की जोड़ी ने कंपोज़ किया है और इसी जोड़ी में से एक अतुल गोगावाले ने इसे बेहद खूबसूरती से गाया है।
बहरहाल इस फिल्म से जुड़ी एक ऐसी जानकारी यहाँ साझा कर रही हूँ, जो मेरे लिए तो किसी आश्चर्य से कम नहीं है। अभी एक-दो दिन पहले यह जानकारी मुझे फ़िल्मी फीवरनामक एक यूट्यूब चैनल पर प्रसारित हुए चाइल्ड एक्टर मोहम्मद समद के एक इंटरव्यू से मिली। इस फिल्म में विनायक (सोहम शाह) के नन्हें बेटे का किरदार निभा रहे मोहम्मद समद ने ही विनायक की बूढ़ी दादी का भी किरदार निभाया है। विनायक की दादी का किरदार एक बूढ़ी अभिशप्त महिला का है, जिसका पूरा शरीर शक्ल-ओ-सूरत बेहद जुगुप्सा पैदा करने वाला और बेहद डरावना है। एक 9-10 साल के बच्चे का एक ही फिल्म में दोहरा किरदार निभाना, जिसमें से एक सामान्य बच्चे का और दूसरा बेहद असामान्य बुढ़िया का वाकई बहुत चकित करने वाला है। बाकी इन किरदारों की क्या खासियत है और कितना अलग-अलग रेंज है, यह फिल्म देखने के बाद ही पता चल सकता है।
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