Tuesday, 2 October 2018

कैंपस गाँधीजी, दो अक्टूबर से जुड़े संयोग!

आज से ठीक एक साल पहले इसी दिन कैंपस में टहलते हुए सामने से अचानक मुझे धोती पहने, हाथ में लाठी पकड़े, नंगे पाँव चल रहे एक बाबा दिखे थे। उनके पास से गुजरते ही मुझे कुछ ध्यान आया। मुड़ कर देखा तो बाबा की छवि मुझे गांधी जी जैसी लगी थी। मैंने झट से अपने मोबाइल कैमरे से पीछे से उनकी एक तस्वीर उतार ली। 2 अक्टूबर के दिन ऐसा घटित होना मुझे खूबसूरत संयोग लगा था। मैंने इसे हमारे कैंपस में गांधी जीशीर्षक के साथ पोस्ट किया था।
इसके बाद कभी-कभार वे बाबा टहलते-टहलते दिख जाया करते थे। लेकिन पिछले बहुत दिनों से उन्हें नहीं देखा था। कल शाम टहलते हुए वे मुझे सामने से आते हुए दिखे। मुझे लगा सामने से उनकी तस्वीर उतारूँ, लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि उन्हें यह पता चले। इस कोशिश में फोटो बहुत ब्लर आई!
लेकिन आज देर रात कहिये या एकदम सुबह लगभग साढ़े तीन बजे मैं फेसबुक स्क्रॉल कर रही थी कि हमारे इन गाँधी बाबाकी तस्वीर मुझे फेसबुक पर दिख गयी! वे हमारे कैंपस की एक दुकान के बाहर बैठ कर आराम कर रहे थे। कैंपस में चुनावी मौसम है, और उसी सिलसिले में किसी की खींची गयी तस्वीर में बाबा उतर आए!

[यहाँ तीनों तस्वीरें लगा रही हूँ। एक सबसे पहली जो पिछले 2 अक्टूबर को खींची थी। दूसरी तस्वीर कल शाम की है, और तीसरी तस्वीर जो सुबह के साढ़े तीन बजे अचानक से मुझे फेसबुक पर दिखाई दी।]

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