कोलकाता के मशहूर
जादूगर चंचल लाहिरी की ख़बरें कल से पढ़ रही थी कि; जंजीरों
और रस्सियों से बँध कर, सात तालों में कैद होकर उन्होंने खुद
को हुगली नदी में उतारवाया था। अपना जादुई करतब दिखाते हुए उन्हें जंजीरों-तालों
से खुद को आज़ाद करके; नदी से सकुशल बाहर आना था। लेकिन अफ़सोस
कि चंचल बाहर नहीं आ सके। उनकी मृत्यु की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन जब तक शव नहीं मिल जाता, तब तक निश्चित तौर पर
यह नहीं कहा जा सकता था। खबर पढ़ कर मन बेहद विचलित हुआ। कल से उसी तरफ ध्यान लगा
हुआ था। अभी पता चला कि उनका शव मिल गया है। यानी करतब दिखाने के उनके जुनून ने
आखिर उन्हें लील लिया।
दुखद
ये है कि यह कोई पहला ऐसा वाकया नहीं है। हमारे यहाँ बहुत से जादूगर और जोकर जादू
और करतब दिखाते हुए मौत के मुँह में समा गये। बहुत सारी फिल्मों में भी ऐसे
त्रासदपूर्ण दृश्य फिल्माए गये हैं। मेरे ख़याल से ऐसे जानलेवा करतब नहीं दिखाने
चाहिए। जान से कीमती तो कुछ नहीं होता। लोग अधिक से अधिक तालियाँ बजायेंगे और कुछ
पैसे देकर अपने घर चले जायेंगे। आपका हासिल क्या है? ज़ोखिम
उठाकर करतब दिखाना, बच गये तो किस्मत, न
बचे तो दुर्भाग्य!!
चंचल
लाहिरी के बारे में सोच रही हूँ, कि पानी के अन्दर अपनी
ज़िन्दगी बचाने के लिए उस वक्त उन्होंने न जाने कितने प्रयास किये होंगे! इस तरह के
जानलेवा करतबों के प्रदर्शन पर न सिर्फ प्रशासन द्वारा पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए
बल्कि दर्शकों को भी कुछ नया, कुछ थ्रिलिंग देखने के लोभ से
बचना चाहिए। आपके थ्रिल के लिए किसी की जान चली जाए, इससे
बुरा कुछ नहीं हो सकता!!
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