Monday 19 August 2019

अलविदा खय्याम साहब!


आप हमारे देश के शीर्षस्थ संगीतकार ही नहीं, एक बेहद ऊँचे दर्जे के इंसान भी थे। आप उमराव जान’, ‘कभी कभीऔर बाज़ारजैसी फिल्मों के गीतों को दिए उम्दा संगीत के लिए ही नहीं अपनी अंदरूनी खूबसूरती के लिए भी हमेशा याद किये जायेंगे। आपकी चिंता में सिर्फ आप नहीं थे; आपकी संवेदना का दायरा बहुत बड़ा था। ईश्वर जगजीत कौर जी को वियोग सह पाने का धैर्य दें। आप दोनों ने साम्प्रदायिक सीमाओं को तोड़कर साथ में सफ़र शुरू किया, सुख-दुःख के कई दशक साथ बिताये, साथ में काम किया, एक-दूसरे का सहयोग किया। आप दोनों ने मिलकर वह पहाड़ जैसा दुःख भी झेल लिया; जब आपका इकलौता जवान बेटा असमय आप लोगों से छिन गया। जिस तरह बेटे की स्मृति को आप दोनों ने अपना संबल बनाकर खुद को समाज के लिए समर्पित कर दिया, मैं प्रार्थना करती हूँ कि आपकी स्मृति भी जगजीत जी के लिए संबल बने और वे खुद को कभी अकेला महसूस न करें। नम श्रद्धांजलि।

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