एम.ए.
के दिनों में पढ़ा था उपन्यास 'एक नौकरानी
की डायरी'। तब इसने चमत्कृत किया था। जुदा कथ्य, सहज-सरल-प्रवाहमयी भाषा और बेहद प्रभावित करने वाला शिल्प। इसके लेखक थे-
कृष्ण बलदेव वैद। उन्होंने विभिन्न गद्य विधाओं में प्रचुर मात्रा में लेखन किया
है और हिन्दी साहित्य जगत में उनकी बड़ी प्रतिष्ठा रही है। साथ ही वे हिन्दी के उन
लेखकों की परंपरा से भी थे; जिनकी पढ़ाई-लिखाई और आजीविका की
भाषा अंग्रेज़ी थी, लेकिन जिन्होंने लेखन के लिए हिन्दी को
अपना माध्यम चुना। आज उनका निधन हो गया। वे 92 वर्ष के थे। उन्हें श्रद्धांजलि।
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