Tuesday 9 September 2014

पुत्र का पिता हो जाना

     शैलेन्द्र और उनके पुत्र शैली शैलेन्द्र
शैलेन्द्र के अकस्मात चले जाने के बाद मेरा नाम जोकर का वह गीत अधूरा रह गया । जीना यहाँ मरना यहाँ का सिर्फ मुखड़ा तैयार हो सका था । बीमार शैलेन्द्र ने राज कपूर से कहा कि अस्पताल से लौट कर वह गीत पूरा कर देंगे । शैलेन्द्र के यूँ चले जाने से वह एक गीत ही नहीं उनका वादा भी अधूरा रह गया । यह बहुत कम लोग जानते हैं कि अब जो गीत पूरा का पूरा हमारे सामने है, उसका अंतरा शैलेन्द्र ने नहीं लिखा है ।
शैलेन्द्र की पत्नी  शकुंतला ने एक घटना का जिक्र किया है । उनके बड़े बेटे शैली तब छुटपन में थे । अपनी माँ को रसोई में मेहनत करते हुए देखकर शैली ने कहा कि हम रोटियों का पेड़ क्यों नहीं लगा लेते ? माँ के लिए बेटे की संवेदनशीलता को इस वाक्य में महसूस किया जा सकता है । शैलेन्द्र ने शैली की इस मासूम जिज्ञासा से प्रेरणा लेकर तब एक गीत लिखा था । फिल्म मुसाफिर (1957) के मुन्ना बड़ा प्यारा’ गीत की पंक्तियाँ एक दिन वो माँ से बोला / क्यूँ फूँकती तू चूल्हा / क्यूँ न रोटियों का पेड़ एक लगा लें / आम तोड़े रोटी तोड़ें / रोटी आम खा लें कहा जा सकता है कि शैलेन्द्र ने शैली से ही उधार ली हैं ।

अधूरे गीत से अधिक जरूरी अधूरे वादे और अधूरी इच्छा को पूरा करना था । संवेदनशील पुत्र से संवेदनशील पिता ने एक छोटी सी घटना से रचनात्मक प्रेरणा ली थी । ऐसे में यह समझा जा सकता है कि लम्बे समय तक अपने सृजनशील पिता के साथ रहकर उस संवेदनशील पुत्र ने कितना कुछ ग्रहण किया होगा । दरअसल पिता और पुत्र के बीच संवेदना के स्तर पर जो एक सम्बंध बन गया था वही ‘जीना यहाँ मरना यहाँ’ गीत का अंतरा बन कर अभिव्यक्त हुआ । शैली शैलेन्द्र ने इस गीत में जैसे अपनी सारी सृजनशीलता उड़ेल कर रख दी है । रचनाकार पिता को एक पुत्र की इससे बड़ी श्रद्धांजलि क्या हो सकती थी ! यदि इस गीत को शैलेन्द्र ने पूरा किया होता तो वह कैसा होता यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन यह सोच पाना भी कठिन है कि वह इससे अलग होता !! यह गीत भारतीय दर्शन का निचोड़ लगता है । शैलेन्द्र के ‘सजन रे झूठ मत बोलो’, ‘वहाँ कौन है तेरा मसाफिर जाएगा कहाँ’ जैसे गीत जिस तरह के भावों की अभिव्यक्ति करते हैं शैली शैलेन्द्र ने उसी भाव की परंपरा  में  एक कालजयी रचना जोड़ने का काम किया है । पिता-पुत्र और आपके बीच में अब मेरी उपस्थिति का कोई मतलब नहीं है । ख़ुद महसूस करिए । 



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