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कुछ बेहतर और सार्थक देखने की इच्छा रखते हों तो आनंद गाँधी की फिल्म ‘शिप ऑफ़ थीसियस’ ज़रूर देखें । आनंद गाँधी बेहद
प्रतिभाशाली युवा फिल्मकार हैं । ‘शिप ऑफ़ थीसियस’ उनकी पहली फीचर फिल्म है, जो 2013 में रिलीज़ हुई थी ।
उनकी इस पहली ही फिल्म से उनके नज़रिए, उनकी सोच और कला की
उनकी गहरी समझ का पता चलता है ।
इस
फिल्म में अस्तित्व की खोज, जीवन क्या
है, जीवन क्यों मिला है, जीवन की
सार्थकता जैसे शाश्वत प्रश्नों के उत्तर की तलाश करने की कोशिश में तीन अलग-अलग
कहानियों का बहुत ही प्रयोगधर्मी और सार्थक संयोजन किया गया है ।
एक
तरह से यह फिल्म क्रमश: तीन अलग-अलग विषयों और तीन एकदम अलग-अलग पृष्ठभूमियों को
लेकर बनी है, लेकिन एक अंत:सूत्र इन तीनों
को जोड़ता है, क्योंकि शाश्वत प्रश्नों के उत्तर भी शाश्वत ही
तो होंगे!
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#film
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