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से पता चला है कि 'निपाह' वायरस
का पहला मामला 1998 में सामने आया था और नई सदी की शुरुआत में हमारे देश के बंगाल
प्रांत के सीमावर्ती इलाकों में इसने अपना कहर बरपाया था। अब लगभग दो दशक के
अंतराल के बाद केरल में बेहद भयंकर शक्ल में इसने फिर से दस्तक दी है। केरल में इस
'निपाह' वायरस की चपेट में आकर मरने
वाले लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है और इससे होने वाली हर मौत बेहद दर्दनाक है
और रूह को झकझोर देने वाली है।
विश्व
स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी वेबसाइट पर सूचना
लगा रखी है कि इस वायरस की कोई वेक्सीन या कोई इलाज अब तक विकसित नहीं किया जा सका
है! इसका साफ मतलब है कि दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों
में भारी गिरावट आई है और भारत में तो इसकी स्थिति इतनी बद्तर है कि कोई उम्मीद ही
नहीं की जा सकती। वैसे भी दुनिया भर में अब लोगों को बचाने की बजाय खत्म करने के
बारे में नए-नए अनुसंधान हो रहे हैं और इसमें कामयाबियां भी मिल रही हैं!!
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