मुंबई के एक गणपति पूजा पंडाल में AIMIM पार्टी के विधायक वारिस पठान ने एक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर लोगों को पूजा की शुभकामनाएं दीं और अपने वक्तव्य का समापन गणपति बप्पा मोरेया कहकर किया। एक मुसलमान विधायक को हिन्दुओं के धार्मिक आयोजन में आमंत्रित करना और उस विधायक का उत्सव में सहर्ष शामिल होकर उनके धर्म के प्रति सम्मान प्रकट करना, धार्मिक सौहार्द और सहिष्णुता का अच्छा उदाहरण कहा जा सकता था, लेकिन इसके बाद जो कुछ घटा वह निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
कथित तौर पर वारिस पठान को सोशल मीडिया और अन्यत्र इस बात के लिए ट्रोल किया गया कि वे न केवल मूर्तिपूजा के आयोजन में सम्मिलित हुए बल्कि, उन्होंने एक हिन्दू देवता के सम्मान में नारा भी लगाया! इसके बाद वारिस पठान पर इतना दबाव बना कि उन्होंने एक वीडियो जारी कर अपने इस आचरण पर शर्मिंदगी जताई और कहा कि 'अल्लाह ताला से उन्होंने माफी मांगी है और वे उन्हें माफ कर देंगे। गलती इंसानों से ही होती, लेकिन आईंदा वे ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे।'
कल्पना करिए कि वारिस पठान को उनके मुसलमान होने के कारण गणेश पूजा के पंडाल में जाने या संबोधित करने से रोक दिया जाता, तो हम इसे बेहद शर्मनाक और असहिष्णुता भरा कृत्य बताकर इसकी तीखी आलोचना करते।
मेरे खयाल से वारिस पठान का गणेश उत्सव में शामिल होने के अपने आचरण को गुनाह कहना और उसके लिए अफ़सोस जताना, उससे कम तीखी आलोचना का विषय नहीं है। उन्होंने वीडियो जारी करके किसी धर्म विशेष के सम्मान को बढ़ाया या घटाया नहीं है, बल्कि धार्मिक सौहार्द के प्रति जघन्यता दिखाई है। ऐसा कहा जा रहा है कि उनकी पार्टी ने ही उन्हें माफी मांगने के लिए बाध्य किया। पार्टी मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को शर्म आनी चाहिए कि एक ओर तो वे संघ और भाजपा की साम्प्रदायिकता की तीखी आलोचना करते हैं और दूसरी तरफ अपनी पार्टी के विधायक को बेहद घटिया स्तर के असहिष्णु साम्प्रदायिक आचरण के लिए प्रेरित करते हैं। सिर्फ संघी कट्टरता ही नहीं, हर तरह की कट्टरता ख़तरनाक है, और इसका तीखा विरोध होना चाहिए।

No comments:
Post a Comment