
मुंबई के एक मेडिकल कॉलेज
की 23 साल की छात्रा पायल की आत्महत्या की घटना बेहद-बेहद दुखद है। यह और भी अधिक
अफसोसनाक है कि पायल को आत्महत्या के लिए उकसाने का इल्ज़ाम जिन तीन लोगों पर है, वो तीनों कथित तौर पर जातीय अहंकार से ग्रस्त 'लड़कियाँ'
ही हैं! खबरों के मुताबिक पायल ताडवी ने इन्हीं तीन लड़कियों के
जातिसूचक और आरक्षण के प्रति अपमानजनक तानों और प्रताड़ना से परेशान होकर यह कदम
उठाया। प्रशासन से पायल ने समय रहते शिकायत भी की थी, लेकिन
उसकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया।
आवश्यकता है कि इस घटना की निष्पक्ष तरीके से जाँच हो और दोषियों को कोई रियायत न बरती जाए। यदि तीनों लड़कियों पर लगा आरोप सही है तो कहा जा सकता है कि वास्तव
में एक संभावना से भरी भावी डॉक्टर को उन लड़कियों ने मौत के मुँह में धकेल दिया, जिन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिशन ज़रूर मिला था, लेकिन
वो कहीं से डॉक्टर बनने लायक नहीं थीं। जातिवादी कॉलेज प्रशासन पर भी सख्त से सख्त
कारवाई होनी चाहिए!
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