Tuesday 4 August 2020

अलविदा अल्काज़ी साहब! आप याद किए जाते रहेंगे

इब्राहिम अल्काज़ी भारतीय रंगमंच की दुनिया के शीर्षस्थों में शुमार थे। रंगमंच की दुनिया और उसकी शख्सियतों की मैं बेहद मामूली जानकार हूँ। लेकिन अल्काज़ी साहब का नाम इतने शीर्षस्थ अभिनेताओं को इतने आदर के साथ लेते देखा कि मान लेना पड़ा कि वे निश्चित तौर पर बहुत खास व्यक्ति हैं। नसीरुद्दीन शाह, ओमपुरी, गोविंद नामदेव, हिमानी शिवपुरी, डॉली आहलूवालिया और भी कई दिग्गज अभिनेता-निर्देशक अपने कौशल के विकास में उनकी बड़ी भूमिका को रेखांकित करते हैं। इन सबकी बातों से जो एक कॉमन बात उभर कर आती है, वह यह है कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के दिनों में अल्काज़ी साहब कठोर अनुशासन के हिमायती होने के बावजूद अपने एक-एक छात्र की प्रगति, बॉडी लैंग्वेज, व्यवहार आदि पर ध्यान रखते थे, और अपने ऑब्जर्वेशन के आधार पर ही उनसे अकेले में बुलाकर बात करते और उनकी समस्या के समाधान का प्रयास करते थे। उनकी सही प्रतिभा को पहचान पाने में मदद करते थे।

एक-एक छात्र पर ध्यान देना, उनकी कमियाँ-कमज़ोरियाँ देख पाना और उन्हें ठीक करने का प्रयास करना, हर एक छात्र की असली प्रतिभा को पहचान जाना; ये एक बहुत बड़ी बात होती है। अल्काज़ी साहब के बारे में जब जब सुना हमेशा मन में आया कि काश मैं भी किसी ऐसे गुरू, किसी शिक्षक से मिल पाती। यह एक सौभाग्य है, जो सबको नहीं मिलता। लेकिन हाँ, मन में यह ज़रूर आता है कि कमोबेश ऐसी शिक्षक ज़रूर बन सकूँ।

श्रद्धांजलि अल्काज़ी साहब! आप याद किये जाते रहेंगे।

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