Saturday, 30 August 2014

जो मन में आया

मन में जो आए वह व्यक्त किया जा सके तो अच्छा लगता है । सुकून मिलता है । यह ब्लॉग मेरे लिए सुकून की तालाश है । लिखूँगी और मन से लिखूँगी । बिना किसी पूर्वाग्रह के । बहुत कुछ सीखना है अभी लेकिन बौद्धिकता का तनाव और दबाव लेकर नहीं । बिना लाग-लपेट के सीधी और सच्ची बातें कहने और सुनने में मुझे कोई गुरेज नहीं । ब्लॉग लेखन का अपना यही छोटा सा एजेंडा है ।

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