मन में जो आए वह व्यक्त
किया जा सके तो अच्छा लगता है । सुकून मिलता है । यह ब्लॉग मेरे लिए सुकून की
तालाश है । लिखूँगी और मन से लिखूँगी । बिना किसी पूर्वाग्रह के । बहुत कुछ सीखना
है अभी लेकिन बौद्धिकता का तनाव और दबाव लेकर नहीं । बिना लाग-लपेट के सीधी और
सच्ची बातें कहने और सुनने में मुझे कोई गुरेज नहीं । ब्लॉग लेखन का अपना यही छोटा
सा एजेंडा है ।
Hardik shubhkamnayen
ReplyDeleteDhanyavaad di :)
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