Friday, 26 September 2014

मैंने कहा फूलों से हँसो तो वो खिलखिला कर हँस दिये

गुलाब को जंगल से अपनी क्यारियों तक ले आकर हम ये समझते रहे हैं कि सबसे खूबसूरत फूल हमारे घरों में है, लेकिन यकीनन गुलाब की रिक्ति को किसी बहुत खूबसूरत जंगली फूल ने भर दिया होगा, क्योंकि फूलों का राजा स्वाभाविक परिवेश में ही फूलों का राजा बना रह सकता है । 

उसी रास्ते से आज भी गुजर रही थी जिससे पिछले एक साल तीन महीने और दस दिन से गुजर रही हूँ । रास्ते के दोनो तरफ फैली जंगली झाड़ियाँ और पौधे भी वही थे । शौक-ए-दीदार भी आज कुछ खास नहीं था । लेकिन नज़र पता नहीं कहाँ से पैदा हो गयी ! मुझे लगा जैसे रास्ते भर में फूल ही फूल बिखरे हुए हैं । इन पर मेरी नज़रे पहले जाती रही हो तो भी कभी इस तरह ध्यान नहीं गया था । छोटे-छोटे सुंदर-सुंदर फूल । अनजाने घासों, झाड़ियों, पौधों पर उगे हुए तरह-तरह के फूल । अपने मोबाइल कैमरे में मैंने इन्हें उतारने की कोशिश की है । कभी-कभी किसी गीत के अर्थ अचानक ऐसे ही खुलते हैं । फूलों से आप जब तक हँसने के लिए नहीं कहते वे नहीं हँसते हैं । वे जैसे आप के आग्रह की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं । फूल अकेले में नहीं आपके साथ खिलखिलाना चाहते हैं । 

सभी तस्वीरें हैदराबाद विश्वविद्यालय के कैंपस के एक छोटे से हिस्से में टहलते हुए ली गयी हैं ।


# Different types of Flowers, University of Hyderabad,  Nature in HCU /UOH Campus

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