Sunday, 14 December 2014

शैलेन्द्र के जाने का दिन

राजकपूर (14.12.1924-02.06.1988) और शैलेन्द्र (30.08.1923-14.12.1966)
शैलेन्द्र का जाना राजकपूर के होने से कम अर्थवान नहीं है । कला के उद्देश्यों के प्रति निष्ठा की परिणति कभी - कभी आत्मोत्सर्ग में होती है । तीसरी कसम इसी आत्महंता निष्ठा से बनाई गयी थी । राजकपूर ने उनकी मृत्यु पर कहा था – “कमबख्त शायर था न ! जाने के लिए भी उसने क्या दिन चुना ! हर साल वह दिन आएगा और ........।”  
अपने 42वें जन्मदिन के बाद से मत्युपूर्व तक के हरेक जन्मदिन पर जिस घटना की याद राजकपूर के दिल को भारी कर देती होगी, उस घटना की याद राजकपूर के जन्मदिन पर उन्हें याद करने वाले प्रशंसकों को कम ही आती है । गूगल को भी नहीं आयी । 

राजकपूर के 90वें जन्मदिन को समर्पित गूगल का डूडल 


 #  Death anniversary of Shailendra, Birth day of  Rajkapoor,  Google Doodle,

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