Saturday 19 September 2015

कसप पढ़ते हुए हम जिलेम्बू हो गये थे

हम लोग 2010 में नए-नए एम.ए में आये थे । उन दिनों का उत्साह ही कुछ अलग था- हरदम चहकते रहते थे । वो ज़िन्दगी के बेहद सुनहरे दिन थे । दिल्ली विश्वविद्यालय के एम.ए. (हिन्दी) का कोर्स भी इतना दिलचस्प था कि उसे पढ़ने, उसपर बातचीत, बहस करने में बड़ा आनंद आता था । नाच्यौ बहुत गोपाल और कसप जैसे उपन्यास, टेपचू, तिरिछ, ज़िन्दगी और गुलाब के फूल सरीखी कहानियाँ, जूठन, आवारा मसीहा जैसी आत्मकथाएं, आधे-अधूरे जैसे नाटक, जानकीवल्लभ शास्त्री के पत्र और राहुल सांस्कृत्यायन के यात्रा वृत्तांत सब कुछ बेहद रुचिकर था ।
उन दिनों लेकिन जिस उपन्यास की सबसे अधिक धूम थी वह था मनोहरश्याम जोशी का कसप । कसप को लेकर लगभग पूरी क्लास बेहद उत्साहित रहती थी । कसप की क्लास में सबसे अधिक संख्या में छात्र जुटते थे मानों पढ़ने को लेकर कितने गंभीर हों जहाँ देखो, जिधर देखो सब कसप पर ही चर्चाएँ कर रहे होते थे । मेरा अनुमान है कि कोर्स में जितनी भी किताबें थीं उनमें सबसे पहले और सबसे अधिक कसप ही पढ़ा गया होगा । उसके कई कारण थे एक तो उसपर इतनी चर्चाएँ होती थीं कि जिसे न भी पढ़ने का मन हो वह भी पढ़े, दूसरे वे एकदम नवीन शैली में लिखा गया रोमांच से भरपूर प्रेम प्रसंग पर केन्द्रित उपन्यास था ।
हम में से अधिकांश कसप पहले से नहीं पढ़ा हुआ था । अगर यह एम.ए के कोर्स में नहीं लगा होता तो शायद इतनी संख्या में और इतने उत्साह के साथ वह कभी पढ़ा भी नहीं जाता । हम पर तो कसप का जादू सर चढ़ कर बोल रहा था । हम लोग दिन-रात उसी की बातें करते थे, उसके दृश्यों को याद कर-कर के कभी ठहाके लगाते तो कभी दबी आवाज़ में हँसा करते थे । कसप का ऐसा खुमार था कि हम एक-दूसरे को जिलेम्बूकहकर संबोधित करने लगे थे और जल्दी ही हमारा ग्रुप जिलेम्बू ग्रुपके नाम से विख्यात हो गया था । हालाँकि यह बेतुका था क्योंकि इस उपन्यास में इस शब्द का फ्रेच में प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त शब्द के रूप में उल्लेख किया गया है ।
फ़िल्में लोगों पर इतना असर करती हैं ये तो देखते-सुनते रहते ही थे लेकिन किसी किताब, उपन्यास आदि को लेकर भी ऐसी खुमारी हो सकती है ये उन्हीं दिनों जाना था । उससे पहले और उसके बाद वे दिन और वो खुमारी दुबारा कभी महसूस नहीं हुई । आज भी जिलेम्बूशब्द याद आता है तो होठो पर मुस्कुराहट तैर जाती है ।

# MA (Hindi) Syllabus, University of Delhi, Kasap, Manohar Shyam Joshi, Hindi literature, Hindi Novels, Jilembu

2 comments:

  1. जिलेम्बू का मतलब भूल गया, मारगांठ याद है और कसप भी। याद दिलान का शुक्रिया, जिलेम्बू का मतलब भी बताईये

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    1. मेरी जानकारी इस शब्द को लेकर बहुत दुरुस्त नहीं है लेकिन उन दिनों का पढ़ा जो याद है उसके मुताबिक यह फ्रेंच भाषा में प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग किया जाने वाला शब्द है। इस बात का उल्लेख मैंने इस संस्मरण में किया भी है। प्रतिक्रिया के लिए बहुत शुक्रिया।

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