
रस्किन बांड बच्चों
के प्रिय लेखक यूँ ही नहीं रहे हैं । बच्चों के लिए जितनी रोचक, रोमांचक
और उनके मनमाफिक दुनिया रच देने वाली कहानियाँ उन्होंने लिखी हैं, शायद ही किसी दूसरे भारतीय लेखक ने लिखी हों । अंग्रेजी में लिखने वाले इस
लेखक की कहानियों, उपन्यासों के लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद
उपलब्ध हैं, खासकर हिंदी में । रस्किन बांड से मेरा परिचय
पहले-पहल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक ‘एक था रस्टी’
के माध्यम से हुआ था । यह रस्किन के बचपन के दिनों के अनुभव और उनकी
अनूठी किस्सागोई का बेजोड़ मिश्रण था । इसे देखना हमेशा रोमांच से भर देने वाला
होता था । उनके उपन्यास ‘द ब्लू अम्ब्रेला’ पर इसी नाम से बनी फिल्म देखकर रस्किन के लेखन से और अधिक प्यार हो गया ।
उनके कथानकों को पहाड़ों के शांत, सुन्दर और अद्भुत सौन्दर्य
के बीच जनमते पलते बढ़ते हुए महसूस किया जा सकता है । हम एक ऐसी दुनिया में
पहुँच जाते हैं, जहाँ हम हमेशा होना चाहते हैं ।
आज रस्किन
बांड के जन्मदिन पर ‘रस्टी के कारनामे’ का एक अंश ‘ढाबे
की चाय’ शेयर कर रही हूँ । हालांकि स्कूल से भागने का मेरा
कोई अपना अनुभव नहीं रहा, पर इसकी कल्पना मात्र भी रोमांचक है !
साभार : रस्टी के कारनामे –
लेखक : रस्किन बांड, अनुवादक : द्रोणवीर कोहली
नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया, प्रथम सं.-1995, द्वितीय आवृत्ति-1999
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