‘हिन्दी मीडियम’ फिल्म अपनी कसावट में कहीं-कहीं
थोड़ी चूकी हुई जरूर लगती है, लेकिन ये चूक बेहद मामूली हैं ।
इस फिल्म के निर्देशक की इस बात के लिए तारीफ़ ज़रूर होगी कि उन्होंने इसे मनोरंजक
बनाये रखने के लिए, लगभग सभी तत्वों का इस्तेमाल करते हुए भी,
उस पर हिंदी फिल्मों के चालू फॉर्मूलों को हावी नहीं होने दिया है ।
इरफ़ान
ख़ान, सबा क़मर और दीपक डोबरियाल सहित सभी
कलाकारों का अभिनय बेहद उम्दा है । लेकिन सिर्फ इसीलिए नहीं, इस
फिल्म को जीनत लखानी और निर्देशक साकेत चौधरी की लिखी एक अच्छी कहानी और पटकथा पर
बनी फिल्म देखने के खयाल से भी जाना चाहिए । शिक्षा और शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी एक
बड़ी समस्या पर यह फिल्म बनायी गयी है। इस तरफ हिन्दी फिल्म निर्माताओं का ध्यान
नहीं के बराबर गया है । देश की आजादी के 70 साल बाद भी देश की जो दुर्दशा है,
उसके एक बड़े जिम्मेवार तबक़े को पहचानने में यह फिल्म बहुत मददगार
है ।
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