समानांतर
सिनेमा से मेरा जितना परिचय है, उसके अनुसार
उस दौर में जिन दो अभिनेत्रियों ने सबसे अधिक और महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई वे हैं,
शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल।
हिन्दी
सिनेमा में इन्होंने एक साथ और अलग-अलग सैंकड़ों भूमिकाएं निभाई हैं। ये दोनों ही
अभिनेत्रियाँ इतनी प्रतिभाशाली हैं कि इन दोनों में से आप किसी को भी कमतर आंक कर
नहीं देख सकते। यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि स्मिता पाटिल आकस्मिक मृत्यु के कारण
बहुत जल्दी इस दुनिया को विदा कह गईं।
सौभाग्य
यह है कि शबाना आजमी आज भी स्वस्थ और सक्रिय हैं और मौका मिलते ही बेहतरीन
भूमिकाएं निभाते हुए अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवा लेती हैं। यूं तो मुझे शबाना
आज़मी की लगभग सभी फिल्में बेहद पसंद हैं खास तौर से समानांतर सिनेमा के दौर की
फिल्में। लेकिन उनमें भी मेरी पसंदीदा फिल्म है 'मंडी'।
‘मंडी’
मुझे इसलिए भी पसंद है क्योंकि इसमें स्मिता और शबाना दोनों हैं। हैदराबाद की
पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म हैदराबादी (दक्खिनी) हिन्दी के कारण भी विशेष आकर्षित
करती है। इस फिल्म में एक गीत है जिसे खुद शबाना ने गुनगुनाया है। वाद्य यंत्रों
का प्रयोग किये बिना भी यह इतना खूबसूरत बन पड़ा है कि लोग इसे ढूँढ़-ढूंढ़ कर
सुनते हैं। यह गीत एक ही बार सुनने पर आपकी ज़ुबान पर चढ़ जाने की ताकत रखता है, और स्मृतियों में शबाना की आवाज़ और गीत के बोल (जो कि दक्खिनी हिन्दी में
हैं) जैसे टंक जाते हैं।
गीत का ऑडियो इस लिंक पर सुन सकते हैं: https://gaana.com/song/kitti-bar-bola-na
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