Thursday, 30 August 2018

शैलेन्द्र और गुलज़ार

शैलेन्द्र गीतकार तो थे लेकिन फिल्मों के लिए नहीं लिखना चाहते थे। राजकपूर का आग्रह और उनकी आर्थिक परेशानियाँ उन्हें फिल्मों में खींच लायीं। गुलज़ार कविताएँ लिखते थे, गीत लिखते थे लेकिन फिल्मों के लिए लिखने के बारे में उन्होंने सोचा नहीं था। वे खुद कहते हैं कि एक तरह से ज़बरदस्ती शैलेन्द्र उन्हें इस काम में ले आये। जिस तरह राजकपूर ने शैलेन्द्र को अवसर देकर हिंदी सिनेमा को एक बेहद उम्दा गीतकार उपलब्ध करवाया, उसी तरह खुद शैलेन्द्र ने गुलज़ार के रूप में हिंदी सिनेमा से एक ऐसे प्रतिभावान रचनाकार को जोड़ा जो सिनेमा के कई कालखंडों के लोकप्रिय गीतकार हैं और हर पीढ़ी उन्हें अपने अनुकूल पाती है।
शैलेन्द्र की उपलब्धियों में से इसे भी एक बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है। प्रतिभाओं को पहचानकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना या अवसर उपलब्ध करवाने में मदद करना भी एक ज़रूरी रचनात्मक कर्तव्य होता है, शैलेन्द्र ने इसी का निर्वाह किया था। आज शैलेन्द्र का जन्मदिन है उन्हें नमन।

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