Monday 23 March 2020

कोरोना काल में असंवेदनशीलता

महामारी (Covid19) के समय में काम/ सेवा करने वालों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन के लिए हमारे देश की जनता ने कल शाम जिस जोश के साथ तालियाँ-थालियाँ बजाई थीं; वो देखने लायक था! लेकिन क्या सच में हम ऐसे समय में उन लोगों को धन्यवाद कर रहे थे??
आँखों देखी घटना बता रही हूँ। पास के एक अपार्टमेंट के लोगों ने कल शाम पूरे उत्साह के साथ खूब थालियाँ-तालियाँ पीटीं थीं। आज सुबह उसी अपार्टमेंट के तीसरे-चौथे फ्लोर से कुछ लोग कूड़ा लेने आयी गाड़ी पर 'कोरोना' के डर से अपनी बालकनी से ही कूड़ा फेंकने लगे। कूड़ा इधर-उधर बिखर रहा था और गाड़ी के साथ आए सफाई कर्मचारियों पर भी गिर रहा था। कुछ लोग सड़कों पर कूड़ा फेंंक रहे थे, और सफाई कर्मचारियों को कह रहे थे; उठा के गाड़़ी में डाल दो! एक सफाई कर्मचारी नीचे से चिल्लाई- 'बेटा हम भी तो इंसान हैं!'
थाली-ताली और शंख की ध्वनियों से कल शाम गूँजने वाली कृतज्ञता आज कूड़े की शक्ल में इस तरह बरस रही थी!
ये मानवता के संकट की झलकी भर है। इस संकट के समय में आगे असंवेदनशीलता का न जाने कैसा-कैसा रूप देखना पड़े।

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