'बतुकम्मा' तेलंगाना की संस्कृति के लोक पक्ष को प्रदर्शित करने वाला
लोकोत्सव है । दशहरे से नौ दिन पहले से हर शाम को यह उत्सव मनाया जाता है। इसे
पुष्पोत्सव के तौर पर भी देखा जाता है । इसमें विभिन्न प्रकार के फूलों को विशेष
युक्ति से सजाया जाता है। सजाने में मौसमी फूलों का उपयोग किया जाता है, उसमें भी विशेष तौर पर ऐसे फूलों का जिनमें औषधीय गुण होते हैं । इन विशेष
प्रकार से सजाए गये फूलों के चारों तरफ घूमते हुए महिलाएं अपने सुखों दुखों को
गीतों के माध्यम से अभिव्यक्त करती हुई समवेत लय में नृत्य करती हैं । कुछ पुरूष इर्द-गिर्द डफली जैसे
वाद्ययंत्र बजाते हैं । महिलाएँ उत्साह से थिरकती रहती हैं । इसे तेलंगाना के जनसमुदाय द्वारा प्रकृति को धन्यवाद ज्ञापित करने के अनूठे तरीके के
रूप में भी समझा जा सकता है ।
हमारे हॉस्टल के ठीक बाहर की इस तस्वीर में उत्सव मनाती हुई जो महिलाएँ दिख रही हैं उन्होंने ही हमारे
हॉस्टल को साफ रखने का गुरूत्तर दायित्व भी उठा रखा है । इस तस्वीर मे गलती से जो
छूट गये, वे तेलंगाना समुदाय के विद्यार्थियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के युवा हैं,
जो डफली बजाकर साथ दे रहे थे ।
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