फिल्म ‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’ की कमाई थमने का नाम नहीं
ले रही है। इस बात से सिनेमा का व्यापार करने वाले बाकी लोग प्रेरणा न लें,
यह भला कैसे हो सकता है! अभी पुलवामा में हुई हमले की दर्दनाक घटना
को कुछ दिन भी नहीं बीतें हैं, भारतीय वायुसेना के एयर
स्ट्राइक के दावे के बाद सीमा पर बनी तनाव की स्थिति ख़त्म भी नहीं हुई है,
कई विमानों के क्रैश होने और सेना के जवानों सहित कई लोगों के मारे
जाने की खबरें आ रही हैं, ठीक उसी समय यह खबर आ रही है कि
पुलवामा की घटना, बालाकोट एयर स्ट्राइक और विंग कमांडर
अभिनंदन के पाकिस्तानी हिरासत में लिए जाने की घटना पर फिल्में बनाने के लिए
प्रोडक्शन हाउसों के बीच टाइटल रजिस्टर करवाने की होड़ मची हुई है!
मतलब
हिंदी सिनेमा के निर्माताओं के लालची दिमाग इस दुखद समय को भी भुनाने के लिए पूरी
तरह तत्पर और प्रयत्नशील हैं। इस तरह की घटनाएँ उनके लिए मसाला भर हैं। इसमें और
अधिक नमक-मिर्च लगाकर परोसने में तो उन्हें महारत हासिल है ही। इन मुनाफाखोरों के
लिए यह सिर्फ अकूत पैसा कमाने का मौका है। देशभक्ति का टॉनिक मिलाकर ये लोग सेना
के प्रति देश की जनता की भावनाओं को भुनाएंगे और सोने पे सुहागा यह होगा कि ये
बैठे-बिठाये मि. प्राइम मिनिस्टर को फिल्म का हीरो भी बना देंगे! यानी हर तरह से
फील गुड एंडिंग!
इतना
सब कहने का एक मतलब यह भी है कि देशप्रेम के जज़्बे से प्रेरित होकर जब आप ऐसी
फ़िल्में देखने का प्लान बनाते हैं, तो आप सिर्फ
आर्थिक ठगी का शिकार ही नहीं हो रहे होते हैं, बल्कि भावनाओं
से खेलने वाले लोगों के द्वारा बेवकूफ भी बन रहे होते हैं। इस तरह का खेल समझ लेने
बाद कोई पूछे ‘how’s the josh’? तो क्या कहेंगे भला!!
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