Saturday, 9 March 2019

सफाई पसंद चायवाला

हमारी यूनिवर्सिटी (हैदराबाद विश्वविद्यालय) की एक कैंटीन के बाहर एक छोटे से कोने में ये चाय की दुकान है। इस दुकान पर मैं जब-जब जाती हूँ, वहाँ की साफ़-सफाई और उसके चमचमाते बर्तनों को देखकर मुझे बड़ा ताज्जुब होता है! मैंने अक्सर चाय की दुकानों पर देखा है कि उनके बर्तनों और चूल्हे पर उबली हुई चाय की निशानी दिनभर बनी रहती है बल्कि उसमें लगातार इज़ाफा होता रहता है, लेकिन इस दुकान के पतीले, केतलियाँ, चूल्हे इस मामले में अपवाद हैं। 
दुकान पर दिनभर चाय बनती रहती है, एक साथ दो-तीन पतीलों और केतलियों में चाय-दूध हर वक्त उबलता रहता है। ग्राहक भी दिनभर आते रहते हैं और एक ही लड़का है, जो ये सब सम्भालता है। इस दुकान की एक और खासियत ये है कि पूरी यूनिवर्सिटी में सबसे अच्छी चाय यहीं मिलती है। मैं जब भी यहाँ चाय पीने जाती हूँ तो अक्सर उसकी साफ़-सफाई की तारीफ किये बिना नहीं रह पाती। मुझे लगता है कि ये मैं इतनी बार दोहरा चुकी हूँ कि अब मेरी तारीफ के बाद उसके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं आती! जैसे कि आज शाम फिर मैंने तारीफ करते हुए पूछा कि भैया आप इतना साफ़ कैसे रख लेते हैं, मेरे तो घर के बर्तन भी इतने साफ़ नहीं रहते! उसने बड़ी सादगी से उत्तर दिया कि इनका ज़रा सा भी गन्दा रहना मुझे पसंद नहीं है!

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